आज के इस पोस्ट में हम आपको Dhara 279 kya hai (279 Ipc in Hindi) इसके बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं। आईपीसी की धारा 279 में सजा और जमानत किस तरह से होती है। इसकी पूरी विस्तार पूर्वक जानकारी आपको देंगे। इसके अलावा इसके अंतर्गत कौन सा अपराध को लागू किया जाता है। उसके बारे में भी बताएंगे ताकि आपको किसी तरह की कोई परेशानी इस पोस्ट को पढ़ने में ना हो और सभी जानकारियां सही ढंग से मिल जाए तो आइए जानते हैं….
279 IPC in Hindi
भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अनुसार अगर “कोई भी किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी तरह की जल्दबाजी में या लापरवाही से चलाता है या फिर उसकी सवारी करता है, उस के दौरान मानवीय जीवन को किसी तरह का संकट हो या किसी व्यक्ति को चोट हो या फिर आघात पहुंचता हो तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है या फिर आर्थिक दंड जो ₹1000 तक भी हो सकता है या फिर दोनों से ही व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है।
धारा 279 क्या है
आईपीसी सेक्शन 279 के अंतर्गत किसी भी वाहन को चलाने से संबंधित की जा सकती है। जिसमें इस धारा के अंतर्गत वर्णित प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी वाहन को किसी भी सार्वजनिक जगह पर या रास्ते में किसी भी तरह की जल्दबाजी और लापरवाही करता है अर्थात लापरवाही से अपने वाहन चलाता है जिससे उस व्यक्ति की ऐसी लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति के साथ में या फिर मानव जीवन को किसी तरह का कोई संकट हो या फिर चोट लग जाती है। ऐसे में व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हो सकता है और ऐसे व्यक्ति को इस धारा के प्रावधानों के अनुसार हमारे भारतीय संविधान में उचित दंड देने का भी प्रावधान किया गया है।
धारा 279 में लागू अपराध की जानकारी
धारा 279 के अंतर्गत लागू अपराध की जानकारी इस प्रकार से है…
एक सार्वजनिक रास्ते पर जल्दबाजी या लापरवाही से वाहन चलाना जिससे मानव जीवन को संकट आदि के संभावना हो।
सजा – 6 माह का कारावास या ₹1000 का आर्थिक दंड या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।
अपराध एक जमानती अपराध होता है और संघीय अपराध की श्रेणी में आता है इसके अलावा किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा यह अपराध विचारणीय रहेगा।
धारा 279 के अंतर्गत किया गया अपराध समझौता करने योग्य नहीं रहेगा।
धारा 279 के जरूरी तत्व क्या है
भारतीय दंड संहिता की धारा 289 के जरूरी तत्व के अंतर्गत कुछ प्रमुख बातें बताई गई है- जैसे कि कोई वाहन चालक की थी वाहन को तेज गति से चला रहा है और उसका वह वाहन चालक के नियंत्रण से बिल्कुल बाहर हो गया है या इसके अतिरिक्त चालक ने वाहन की गति की सीमा सही नहीं होती है, किंतु वाहन चालक की लापरवाही की वजह से उसका ध्यान मार्ग से भंग हो गया हो या वह वाहन चलाते समय कोई ऐसा कार्य कर रहा था, जिसके कारण उसका वाहन से नियंत्रण खो चुका था और दुर्घटना घटित हो गई थी। इन परिस्थितियों के अनुसार ही कोई दुर्घटना घटित हो जाती है और वाहन चालक की वजह से किसी व्यक्ति के जानमाल को भी नुकसान हो जाता है तो ऐसी घटना के मिलने पर पुलिस आईपीसी सेक्शन 279 के अंतर्गत दोषी पर मामले का संज्ञान ले सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत यह एक अपराध जमानती अपराध माना जाता है और किसी भी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा यह विचारणीय रहेगा। इस अपराध में किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
धारा 279 के अंतर्गत सजा का वर्णन
भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति के द्वारा जो वाहन चला रहा है और उसकी लापरवाही की वजह से किसी तीसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। इस अपराध के लिए अपराधी को उचित दंड देने की व्यवस्था कानून में बताई गई है। उस व्यक्ति को में धारा 279 के अंतर्गत अपराध किया है तो उसको इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का वर्णन बताया गया है। इस कारावास की समय सीमा 6 महीने तक की होती है और इससे और अधिक भी इसको बढ़ाया जा सकता है। इस अपराध के अंतर्गत आर्थिक दंड का प्रावधान भी बताया गया है और न्यायालयों में आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार सजा और आर्थिक दंड दोनों का निर्धारण किया जाता है। आर्थिक दंड ₹1000 से अधिक इस धारा के अंतर्गत नहीं होता है।
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धारा 279 के अंतर्गत वकील की जरूरत
धारा 279 के अंतर्गत किए गए अपराध में एक योग्य कुशल वकील की जरूरत पड़ती है। वकील ऐसा होना चाहिए जो सभी प्रकार के कानूनी मामलों में निपुण हो जो न्यायालय के जज के समक्ष आपका पूरी तरह से प्रतिनिधित्व कर सके। भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अंतर्गत अपराध गंभीर और बड़ा माना जाता है क्योंकि इस धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति के द्वारा जो कोई वाहन चला रहा है उसकी लापरवाही की वजह से किसी अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान पहुंचाने के अपराध का वर्णन बताया गया है। इसमें दोषी को धारा 366 के अनुसार उस अपराध की सजा मिलती है। जो अपराधी किसी व्यक्ति के द्वारा वाहन चला रहा है, उसकी लापरवाही की वजह से किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की वजह से उस अपराध को किया गया है, ऐसे अपराध से आरोपी का बच निकलना बहुत मुश्किल होता है। इसमें आरोपी को निर्दोष साबित करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। इन विकट परिस्थितियों से निबटने के लिए ही वकील की जरूरत पड़ती है। वकील ऐसा होना चाहिए जो आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से न्यायालय में लाभकारी कार्य करके आरोपी को बचा सके। अगर वकील अपने क्षेत्र में पूरी तरह से निपुण हैं तो वह आरोपी व्यक्ति को आसानी से मुक्त करवा सकता है। अगर आपका वकील सही है तो वह इस तरह के अपराधों से आसानी से आपको बचा सकता है। इससे आपके केस जीतने के अवसर भी इस में बढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष
आज हमने आपको किस आर्टिकल के द्वारा धारा 279 क्या होती है Dhara 279 in hindi इसके विषय में पूरी जानकारी विस्तार से बताई है। इसमें हमने बताया कि इस धारा के अंतर्गत कौन से अपराध को शामिल किया गया है, वकील की आवश्यकता पड़ती है या नही और सजा का क्या प्रावधान है। इन सभी के बारे में हमने विस्तार पूर्वक जानकारी इस आर्टिकल में दे दी है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी जानकारी धारा 279 से रिलेटेड दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको फिर भी किसी तरह का मन में कोई डाउट है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।