304 b IPC in Hindi- धारा 304 बी क्या है

क्या आप भारतीय दंड संहिता की धारा (304 B IPC in hindi)  के बारे में या धारा 304 बी में जमानत कैसे मिलती है जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से क्या कहती है धारा 304 B इसके बारे में ही पूरी जानकारी विस्तार पूर्वक बताने जा रहे हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी के अंतर्गत दहेज से जुड़े हुए मामले या दहेज हत्या, या दहेज से पीड़ित महिला या स्त्री के ऊपर किये जाने वाले अत्याचार के लिए हमारे भारतीय संविधान में अपराध के क्या प्रावधान हैं।और सजा क्या मिलती है और जमानत का प्रावधान है या नहीं इन सभी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं आप अंत तक हमारे इस लेख IPC 304 B को जरूर पढ़ें ताकि सही जानकारी मिल सके आइए जानते हैं…

धारा 304 बी क्या है

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 B के अंतर्गत 

जहां पर किसी स्त्री की मृत्यु किसी दाहा या शारीरिक क्षति के द्वारा कार्य की जाती है या विवाह के 7 साल के अंदर सामान्य परिस्थितियों से मृत्यु हो जाती है और यह दर्शाया जाता है कि उसकी सत्य के कुछ पूर्व उसके पति ने या उसके पति के किसी नातेदार ने दहेज की किसी मांग के लिए या उसके संबंध में उसके साथ क्रूरता के या फिर उसको तंग किया महा इस तरह की होने वाली मृत्यु को दहेज मृत्यु कहां जाएगा ऐसा पति या नातेदार उसकी मृत्यु करने वाले समझे जाएंगे।

अर्थ सामान्य रूप से अगर कहा जाए तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत दहेज मृत्यु से संबंधित धारा है जिसके अंतर्गत किसी भी स्त्री की अगर मृत्यु या शारीरिक शक्ति के द्वारा कार्य की जाती है एवं 7 साल के अंदर कुछ ऐसी परिस्थितियां हो जाती है जिससे कि उस स्त्री की मृत्यु हो जाती है तो इसको दहेज मृत्यु माना जाता है।

304 b ipc in hindi

 स्पष्टीकरण : – यहां पर दहेज शब्द को आईपीसी के अंतर्गत परिभाषित नहीं किया गया है बल्कि इस शब्द को दहेज निवेश अधिनियम 1961 के अंतर्गत परिभाषित किया गया है। इस धारा के प्रयोजनों के लिए दहेज का अर्थ तो वही है जो दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 (1961 का 28) की धारा 2 में वर्णन किया गया है 

जो कोई दहेज मृत्यु कार्य करता है वह कारावास से जिसकी समय सीमा 7 साल से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक होगी उसमे दंडित किया जाएगा

दहेज मृत्यु क्या है (Dowry Death)?

दहेज मृत्यु का अर्थ है जहां पर किसी स्त्री की मृत्यु या शारीरिक क्षति के द्वारा कार्य या फिर उसके विवाह के 7 साल के अंदर सामान्य परिस्थितियों में अन्यथा वह जाती है यह दर्शित किया जाता है कि उसकी मृत्यु के कुछ समय पूर्व उसके पति के उसके रिश्तेदारों ने दहेज की मांग के लिए उसके साथ क्रूरता की थी या फिर उसको तंग किया था तो ऐसी मृत्यु को दहेज मृत्यु की श्रेणी में माना जाता है अर्थात यह हत्या दहेज मृत्यु हत्या कहलाती है। ऐसे अपराध में पति और उसके रिश्तेदार को अपराधी माना जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 320 के अंतर्गत यह सभी अपराधी माने जाएंगे

आसान शब्दों में अगर कहा जाए तो कोई भी महिला पर उसके ससुराल वाले शारीरिक क्षति पहुंचाते हैं या फिर उसके पति के द्वारा या रिश्तेदारों के द्वारा या शराब पीकर दहेज की मांग के लिए तंग करना और उसके साथ में बुरा व्यवहार करना ऐसे में अगर स्त्री की मृत्यु कर दी जाती है या हो जाती है तो वह दहेज हत्या मानी जाती है इसके लिए संविधान में दंड के प्रावधान भी बताए गए है।

IPC 304B में वर्णित “अपराध”

आईपीसी की धारा 304b के अंतर्गत जिन अपराधों को बताया गया है उनमें कोई व्यक्ति दहेज मृत्यु कार्य करता है वह व्यक्ति कारावास से जिसकी अवधि 7 साल से कम की नहीं होती है किंतु जो आजीवन कारावास तक की होगी ऐसे में उस व्यक्ति को दंड भी किया जाएगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 304 में दहेज मृत्यु को परिभाषित किया गया है और दंडित प्रथम उप धारा के अनुसार जहां किसी स्त्री की मृत्यु के दा द्वारा कार्य किया जाता है या क्षति कार्य किया जाता है उसके विवाह के 7 साल के अंदर सामान्य परिस्थितियों में अन्यथा हो जाती है और यह दर्शाया जाता है कुछ पूर्व या उसके पति उसके रिश्तेदार के द्वारा दहेज की मांग की गई थी इसके संबंध में उस महिला के साथ क्रूरता की गई हो और इस तरह की परिस्थितियों से तंग आकर उसने अगर ऐसा किया तो दहेज दहेज मृत्यु कहलाती है।

304 B IPC Punishment

भारतीय दंड संहिता की धारा 304b के अंतर्गत अगर किसी महिला की हत्या दहेज के कारण हो जाती है तो उस व्यक्ति को कम से कम 7 साल की सजा होती है नहीं तो आजीवन कारावास भी हो सकता है ऐसे में उस व्यक्ति को दंडित भी किया जा सकता है। इसके अलावा यह अपराध एक गैर जमानती अपराध माना जाता है और यह समझौता करने योग्य नहीं होता है। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत अपराधी को बिना वारंट के भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।

धारा 304 बी में जमानत कैसे मिलती है?

304 B IPC Bailable or Not: धारा 304 बी एक गैर जमानती अपराध है जिसमे जमानत के लिए कोर्ट में अप्लाई किया जा सकता है लेकिन जमानत देनी या ना देनी ये कोर्ट और केस की गंभीरता पर निर्भर करेगा।
लेकिन एक केस Mira Devi vs. The State of Bihar  (CRIMINAL MISCELLANEOUS No.34640 of 2021) में हुए फैसले के अनुसार पति के माँ बाप को अग्रिम जमानत भी मिल सकती है अगर वो जिसे घर में मृत्यु हुई है उससे अलग रह रहे हों।

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IPC 304 B में वकील की आवश्यकता

भारतीय दंड संहिता की धारा 304B के अंतर्गत वकील की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि यह अपराध बहुत गंभीर अपराध माना जाता है। इस अपराध के अंतर्गत किसी महिला की दहेज के कारण मृत्यु होने की वजह से बड़ा मामला बनता है। जिसमें जो दोषी व्यक्ति होता है उसको धारा 304B के अंतर्गत प्रावधानों के अनुसार इस तरह की सजा का प्रावधान है, वह सजा अपराधी को मिलती है।

जो अपराधी महिला की दहेज के कारण मृत्यु होने का कारण बन जाता है ऐसे अपराधी को इस तरह के केस से बच निकलना बहुत मुश्किल होता है,क्योंकि अपराधी को निर्दोष साबित कर पाना खुद के लिए बहुत कठिन होता है। इन्हीं सब कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए वकील की आवश्यकता पड़ती ही है। क्योंकि अपराध चाहे कोई भी हो बिना वकील के आरोपी का बचना नामुमकिन होता है।

इस तरह के केस के लिए वकील ऐसा होना चाहिए जो आरोपी को बचाने के लिए सही कार्य कर सके अर्थात इस क्षेत्र में निपुण वकील होना चाहिए किसी महिला की दहेज के कारण मृत्यु होने के मामलों में ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो इस तरह के मामलों में परंपरागत हो और धारा 304B जैसे मामलों को सही तरीके से सुलझा सके ताकि केस जीतने के चांस बढ़ जाए।

निष्कर्ष

आज हमने इस लेख में आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 304B IPC in Hindi के बारे में जानकारी प्रदान की है। IPC की धारा 304 के अंतर्गत सजा क्या है और किस अपराध को इसमें शामिल किया गया है। इसका विस्तार पूर्वक वर्णन आपको इस पोस्ट में बताया है। हमें उम्मीद है कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख के माध्यम से बताइए आपको जरूर पसंद आएंगी। इससे जुड़े हुए किसी भी सुझाव या किसी प्रकार की संभाल के लिए आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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