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406 IPC in Hindi- धारा 406 क्या है और जमानत कैसे मिलेगी?

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको “406 IPC in Hindi” के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं। अगर आप भारतीय संविधान की धारा 406 के विषय में जानना चाहते हैं तो आपको हमारे इस पोस्ट को पढ़ना होगा आइए जानते हैं आखिर क्या कहती है “आईपीसी की धारा 406″…

IPC 406 in hindi – आप लोगों ने समाचार पत्र न्यूज़ चैनल सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग तरह की गतिविधियां देश में, विदेश में पढ़ने को और सुनने को मिल ही जाती हैं। उन सभी में बलात्कार, हत्या, चोरी, डकैती और किसी को धोखा देना इन सभी को शामिल किया गया है। पीड़ित व्यक्तियों के द्वारा न्याय मांगने पर और अपराधियों को सजा देने के लिए हमारे देश में कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं।

आज के समय में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन पर कोई ना कोई व्यक्ति बहुत अधिक विश्वास करते हैं लेकिन एक समय ऐसा आ जाता है कि उस विश्वास के चलते वह धोखा भी खा जाते हैं। किसी भी व्यक्ति पर आंखें बंद करके भरोसा करना मतलब किसी आपराधिक गतिविधि को जन्म देना होता है। जब भी किसी व्यक्ति पर आप विश्वास करते हैं। विश्वास जीतने के बाद में विश्वास तोड़ना कानून की नजर में “criminal branch of trust” कहा जाता है। इस तरह की अपराधिक गतिविधियां भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के अंतर्गत आती हैं। क्या आप आईपीसी की धारा 406 के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हम यहां आपको आईपीसी 406 इन हिंदी के अंतर्गत किस अपराध को शामिल किया गया है? सजा का क्या प्रावधान है? जमानत कैसे मिलती है? इन सभी का वर्णन आपको हमारे इस लेख में पढ़ने को मिलेगा आइए जानते है…

406 IPC in Hindi

सबसे पहले आपको बता दें कि आईपीसी की धारा अर्थात भारतीय दंड संहिता 406 के मुताबिक कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ में विश्वास या भरोसे पर दी गई संपत्ति का गलत प्रयोग करता है या उसको बेच देता है और पहले व्यक्ति के द्वारा उसको मांगे जाने पर भी वह उसकी संपत्ति को नहीं लौटाता है उस स्थिति में वह व्यक्ति अपराधिक हनन का दोषी कहलाया जाएगा। इस अपराध के लिए उसको एक अवधि की जेल जिसकी समय सीमा 3 साल तक की हो सकती है या फिर आर्थिक दंड या दोनों से भी दंडित किया जा सकता है।

Dhara 406 kya hai?

आईपीसी 406 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को विश्वास से संपत्ति दी जाती है और दूसरे व्यक्ति ने उस संपत्ति का गलत तरह से इस्तेमाल किया है या फिर उस संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया है और पहले व्यक्ति के मांगने पर भी उसको नहीं लौटाया है तो विश्वास के आपराधिक हनन का वह दोषी ठहराया जाएगा।

406 ipc in hindi

सरल शब्दों में कहा जाए तो जब भी किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे व्यक्ति को विश्वास या भरोसे पर दी गई संपत्ति या फिर उस दूसरे व्यक्ति द्वारा उस संपत्ति का गलत तरह से प्रयोग होने पर किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया जाता है या मांगने पर उस व्यक्ति को वह प्रॉपर्टी नहीं लौटाई जाती है तो वह विश्वास के अपराधिक हनन का दोषी ठहराया जाएगा और यह एक अपराध की श्रेणी में माना जाता है जो कि आईपीसी सेक्शन 405 में भी परिभाषित किया गया है।

406 IPC Punishment

आईपीसी 406 में लागू अपराध विश्वास का अपराधिक हनन होता है इस अपराध के अंतर्गत 3 साल की सजा या आर्थिक दंड या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है क्योंकि यह एक गैर जमानतीय व संघेय अपराध की श्रेणी में माना जाता है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा यह विचारणीय रहेगा।‌ इस अपराध हमें न्यायालय की परमिशन से पीड़ित व्यक्ति के द्वारा समझौता भी किया जा सकता है।

आईपीसी 409 में जमानत के प्रावधान क्या है?

 भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के अंतर्गत अपराध में जमानत होना मुश्किल कार्य है क्योंकि यह एक गैर जमानती अपराध माना जाता है। इस तरह के अपराध के लिए आरोपी व्यक्ति अपने राज्य की उच्चतम न्यायालय में अपनी जमानत की अर्जी को लगा सकता है। यहां पर आरोपी व्यक्ति को उसके परिवार में किसी तरह की आपातकालीन परिस्थिति पड़ने पर जमानत मिल सकती है। 

आईपीसी और सीआरपीसी के अंतर्गत धारा 406 के मामले में अग्रिम जमानत का भी प्रावधान नहीं दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति उच्चतम न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर भी करता है तो उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है।यहां पर अपराधी व्यक्ति पर लगाए गए आरोप से बचना बहुत मुश्किल है या यह कहा जा सकता है कि इन सब परिस्थितियों में जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है। इस तरह के अपराध में पुलिस स्टेशन से भी जमानत नहीं मिल सकती है और उच्चतम न्यायालय से भी जमानत मिलने की उम्मीद कम होती है। अग्रिम जमानत मिलने के चांस भी आईपीसी 406 के अंतर्गत कम होते हैं। एक तरह से देखा जाए तो धारा 406 के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत मिलना मुश्किल होता है।

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आईपीसी 406 में वकील की आवश्यकता क्यों पड़ती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के अंतर्गत किया गया अपराध बहुत संगीन और गैर जमानती अपराध होता है।‌इस धारा के अंतर्गत अपराधी व्यक्ति को कारावास की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड का भी भुगतान करना पड़ता है। आईपीसी सेक्शन 406 में अपराधी को सजा 3 साल तक की  भी बढ़ाया जा सकता है। इस तरह के अपराध मैं आरोपी का बच पाना बहुत मुश्किल है और उसको निर्दोष साबित करना भी मुश्किल हो जाता है। इन सब परिस्थितियों से निकलने के लिए वकील की जरूरत आवश्यकता होती है जो कि आरोपी व्यक्ति को बचा सकता है। लेकिन यहां पर आरोपी को बचाने के लिए वकील को इस क्षेत्र में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है तभी वह आरोपी को मुक्त करवा सकता है। विश्वास के अपराधी हनन जैसे मामलों के लिए वकील का निपुण होना जरूरी है क्योंकि इस तरह के अपराध में उचित तरीके से वकील ही आरोपी को आरोप मुक्त करवा सकता है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको “IPC 406 in hindi” आईपीसी 406 इन हिंदी के बारे में जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी जानकारी इस लेख के माध्यम से दिए वह आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो अधिक से अधिक लाइक शेयर कीजिए और धारा 406 के अंतर्गत किसी भी तरह के सवाल के लिए आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके भी पूछ सकते हैं।

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