IPC 407 in Hindi – जैसा कि आप सभी ने अपने बचपन में स्कूल के दिनों में अध्यापकों के द्वारा यह जानकारी प्राप्त की होगी कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ऐसे में हम सभी किसी न किसी रूप में एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। किसी भी कार्य को करने हेतु कोई भी इंसान अकेला नहीं कर पाता है। किसी दूसरे की मदद लिए बिना कोई भी काम करना असंभव होता है।
एक तरह से देखा जाए तो संपूर्ण विश्व में हर एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में हर किसी पर आश्रित होता है चाहे वह किसी भी तरह का कार्य क्यों ना हो। आपको कहीं पर जाना हो या किसी तरह के सामान को कहीं पर भेजना हो या कुछ भी कार्य हो जिसके लिए आपको दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
इसी प्रकार इन्हीं सब कार्यों से जुड़ी हुई आईपीसी की धारा 407 है। भारतीय दंड संहिता की धारा 407 क्या कहती है। इस धारा के अंतर्गत कौन से अपराध को शामिल किया गया है। कितनी सजा का प्रावधान है इन सभी का वर्णन आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं आइए जानते हैं..
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407 IPC in Hindi
भारतीय दंड संहिता की 1860 की धारा 407 के अंतर्गत कोई व्यक्ति किसी दूसरे स्थान पर जाने के लिए या किसी दूसरे कार्य के लिए किसी तरह का कोई कांटेक्ट करता है जैसे किसी गाड़ी वाले से कांटेक्ट करना किसी नाम वाले से कांटेक्ट करना या अन्य किसी तरह का कांटेक्ट करके वह व्यक्ति आपके साथ किसी तरह की बेईमानी कर लेता है उस अपराध को धारा 407 के अंतर्गत माना गया है, और बेईमानी करने वाला व्यक्ति धारा 407 के अंतर्गत दोषी माना जाता है। इस तरह का अपराध करने वाला व्यक्ति का अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है। यह अपराध गैर जमानती व संघेय की श्रेणी में आता है। इस अपराध की सुनवाई प्रथम मजिस्ट्रेट के द्वारा विचारणीय रहेगी। आईपीसी 407 के अंतर्गत अपराध की सजा 7 साल या जुर्माने से भी दंड का अधिकारी रहेगा।
धारा 407 क्या है
भारतीय दंड संहिता की धारा 407 के अंतर्गत कोई भी कार्यवाहक व्यक्ति घाटवाल या भंडारिक के रूप में उसके सुपुर्द संपत्ति के संदर्भ हेतु अपराधिक विश्वासघात करता है इस तरह के अपराध के लिए व्यक्ति को किसी भी एक अवधि का कारावास जिसकी समय सीमा 7 साल तक की बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा आर्थिक दंड का भी वह उत्तरदाई रहेगा।
आईपीसी 407 में लागू अपराध
आईपीसी सेक्शन 407 के अंतर्गत लागू अपराध में कार्यवाहक घटवाल आदि के द्वारा आपराधिक विश्वासघात को शामिल किया गया है। इस तरह के अपराध के लिए 7 साल का कठोर कारावास और आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा यह एक गैर जमानती है और संघीय अपराध माना गया है। अदालत में प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा यह विचारणीय रहेगा यह समझौता करने योग्य अपराध भी नहीं होता है।
IPC की धारा 407 – वाहक, आदि द्वारा आपराधिक न्यासभंग
जो भी कोई व्यक्ति वाहक भटवाल या भंडागारी के रूप में अपने पास संपत्ति दिए जाने पर इस तरह की संपत्ति के संदर्भ में अगर न्यास भंग करता है तो उसको किसी तरह के कारावास से जिसकी समय सीमा 7 साल तक की हो सकती है उसे दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी वह दंडनीय रहेगा।
धारा 407 IPC जमानत कैसे मिलेगी?
आईपीसी 407 के अंतर्गत यह एक गैर जमानती अपराध माना गया है इस तरह के अपराध के लिए अपराधी की जमानत आसानी से नहीं होती है। इस धारा के अंतर्गत जितने भी अपराध शामिल किए गए हैं वो सभी अपराध गैर जमानतीय होते हैं। इसके अलावा यह समझौता करने योग्य भी अपराध नहीं होता है।
निष्कर्ष
आज इस आर्टिकल में हमने “IPC 407 in Hindi- धारा 407 क्या है और जमानत कैसे मिलेगी?” भारतीय दंड संहिता की धारा 407 के बारे में जानकारी प्रदान की है। इसमें हमने आईपीसी सेक्शन 407 के अंतर्गत कौन से अपराध को शामिल किया गया है,जमानत का प्रावधान इन सभी का वर्णन आपकी जानकारी के लिए दिया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी जानकारी इस लेख में दिया वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको आईपीसी सेक्शन 407 के अंतर्गत किसी भी तरह के सवाल के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं।