आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि आपसी सहमति से तलाक के नियम क्या है इसके विषय में विस्तार से जानकारी आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं
तलाक एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया होती है जो तो समझदार अर्थात वयस्क लोगों को अपनी शादी को समाप्त करने के लिए होती है क्योंकि इस प्रक्रिया में वह दोनों अपनी शादी को समाप्त करने का डिसीजन लेते हैं जिसमें विभिन्न तरह के कानून लगाए जाते हैं तब जाकर उनका तलाक डिसीजन कोर्ट के द्वारा मिलता है हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के द्वारा सिख, जैन, बौद्ध, हिंदू सभी लोग इस प्रक्रिया में शामिल किए जाते हैं।
मुस्लिम विवाह के तलाक कार्मिक कानूनों और विवाह विघटन अधिनियम 1939 और मुस्लिम विवाह अधिनियम 1986 के अंतर्गत शामिल किए गए हैं।
भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम अट्ठारह सौ बहत्तर के द्वारा आते हैं। पारसी विवाह और तलाक अधिनियम 1936 के अंतर्गत शामिल किए गए हैं अन्य विवाह विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं। तो आइए जानते हैं आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी के लिए…
Contents
आपसी सहमति से तलाक के नियम:-
1. धारा 13B
हिंदू विवाह अधिनियम (Amendment) 1976 में आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए इस धारा को लाया गया है।
2. धारा 13B(1)
धारा 13 बी के अंतर्गत एक कपल के द्वारा तलाक की याचिका कोर्ट में दायर की जाती है वहां पर वह कपल इस याचिका को तैयार करते हैं जो 1 साल से अलग रह रहे हो यहां डिग्री प्राप्त करने के लिए धारा 13B(2) के अंतर्गत 6 महीने का इंतजार भी करना पड़ता है।
3. धारा 14
शादी के 1 साल के अंदर तलाक के लिए कोई याचिका कोर्ट में नहीं दी जाएगी शर्त यह है कि न्यायालय आवेदन करने पर एक याचिका प्रस्तुत करने की परमिशन दे सकता है।
आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया
आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया में शुरू करने से पहले पति और पत्नी के बीच सभी महत्वपूर्ण और सभी मुद्दों को सही ढंग से सुलझाना ही सही रहता है इसके अलावा अगर नहीं होती है तो आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया इस प्रकार से की जाती है
- सबसे पहले दोनों पति-पत्नी के द्वारा फैमिली कोर्ट मैं शादी के टूटने के लिए दोनों पक्षों को साइन की हुई याचिका को कोर्ट के समक्ष पेश करना होता है।
- कोर्ट के समक्ष याचिका में दोनों पार्टनर का एक संयुक्त बयान दर्ज होता है उसमें दोनों पार्टनर अपनी आपसी मतभेदों की वजह से वह भविष्य में एक साथ नहीं रहेंगे तलाक लेने की बात को कोर्ट में रखते हैं।
- इस बयान में बच्चों और प्रॉपर्टी के बंटवारे के बारे में भी समझौता शामिल करना पड़ता है। बयान दर्ज करने के बाद में न्यायालय के सामने पेपर पर दोनों के हस्ताक्षर भी किए जाते हैं। इसके बाद दोनों पक्ष सुलह करने का या मन उनका किसी भी वजह से बदल जाता है तो इसके लिए कोर्ट के द्वारा 6 महीने का समय दिया जाता है।
- अगर इन प्रस्ताव के दौरान 6 महीने में दोनों पक्षों में सहमति नहीं बनती है तो अंतिम सुनवाई के लिए अर्थात सेकंड प्रस्ताव के लिए पति पत्नी दोनों को कोर्ट में हाजिर होना पड़ता है।
- हालांकि अभी हाल ही में हुए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 6 महीने का समय आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए जरूरी नहीं होता है। अदालत अपने विवेकाधिकार के आधार पर भी इस अवधि में छूट दे सकती है।
- अगर दूसरा प्रस्ताव अट्ठारह महीने की अवधि में नहीं लगाया गया तो तलाक के आदेश को पारित नहीं किया जाता है।
- इसमें एक पक्ष के आदेश पारित होने से पहले किसी भी समय अपनी सहमति वापस भी ली जा सकती है।
- ऐसे मामले में पति पत्नी दोनों के बीच अगर कोई पूर्ण समझौता ना हो या फिर अदालत पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो तो तलाक के लिए आदेश कोर्ट के द्वारा नहीं दिया जा सकता है।
- अगर अदालत को पूरी कार्रवाई सही लगती है तो अंतिम चरण में कोर्ट आपसी सहमति से तलाक के आदेश दे देती है।
आपसी सहमति से तलाक के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता दोनों पक्षों की स्वतंत्र सहमति की होती है दूसरे शब्दों में कहें तो जब तक कि विवाह के वितरण के लिए पति और पत्नी के बीच कोई पूर्ण रूप से समझौता नहीं हो और अदालत से वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो तो यह आपसी सहमति से तलाक के लिए आदेश नहीं दे सकती है। अंतिम चरण में एक तलाक का आदेश दिया जाता है, अगर माननीय न्यायालय ठीक समझ ले।
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आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए लगने वाली जरूरी डॉक्यूमेंट
आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया के लिए लगने वाले जरूरी डाक्यूमेंट्स की जानकारी इस प्रकार से है…
- पति और पत्नी दोनों के एड्रेस का प्रूफ
- मैरिज सर्टिफिकेट
- शादी की फोटो
- शादी का कार्ड
- पासपोर्ट साइज की फोटो
- इनकम टैक्स 3 साल की डिटेल
- म्यूच्यूअल सेटेलमेंट एग्रीमेंट
- 1 साल तक अलग रहने का प्रूफ
- या उससे संबंधित शपथ पत्र
निष्कर्ष
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया है कि “आपसी सहमति से तलाक के नियम” इसके विषय में पूरी जानकारी विस्तार से बताई है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख में दी है, वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको इस आर्टिकल से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के विषय में जानना है या किसी भी सवाल के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़ सकते हैं वहां आपको संतुष्टि पूर्ण जवाब दिए जाएंगे।