तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा- पूरी जानकारी

आज किस पोस्ट में हम जानेंगे कि “तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा इसके विषय में आपको जानकारी देने जा रहे हैं। क्योंकि जब पति पत्नी के बीच में तलाक हो जाता है। तो सबसे महत्वपूर्ण चीज उसमें बच्चों की होती है कि आखिर बच्चों की कस्टडी किसको दी जाए। उसी के विषय में आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं…

हमारे देश में तलाक के बहुत से मामले देखने को मिलते हैं लेकिन जब पति पत्नी के बीच में तलाक होता है तो उसका पूरा दर्द बच्चों को ही सहन करना पड़ता है। फिजिकल कस्टडी के अंतर्गत माता-पिता में से किसी एक को ही प्राइमरी गार्डियन बनाते हैं और बच्चा उसी प्राइमरी गार्जियन के पास में रहता है। दूसरे पेरेंट्स को बच्चे के वेजिटेशन की परमिशन मिल जाती है। इसके अंतर्गत माता-पिता जिसका भी वेजिटेशन का अधिकार होता है। 

तलाक के बाद बच्चा मां या बाप में से किसके पास रहेगा इसके लिए कई बार फैसला आपसी सहमति से भी दोनों ले लेते हैं। जबकि कई बार इस संबंध में फैसला कोर्ट के द्वारा सुनाया जाता है। फैमिली कोर्ट में मां-बाप का पक्ष सुनने के बाद में बच्चे की कस्टडी के संबंध में कोर्ट के द्वारा ही फैसला सुनाया जाता है। तो आज किस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे की कस्टडी अर्थात बच्चे की कस्टडी तलाक के बाद किसको मिलेगी। तलाक के बाद बच्चे पर किसका अधिकार रहता है। इसके बारे में आज की पोस्ट में हम आपको विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं, आइए फिर जानते हैं इस पोस्ट के बारे में…

तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा

बच्चे की कस्टडी के अंतर्गत हिंदू बच्चों के मामलों में गार्जियनशिप का मामला हिंदू “माइनॉरिटी एवं गार्जियनशिप एक्ट 1956″ के अंतर्गत आता है। यह कानून गार्जियन एवं वार्ड एक्ट 1890 की तरह ही होता है। इस कानून के आधार पर अगर बच्चा 5 साल से कम का है तो उसकी कस्टडी पूरी तरह से मां को ही दी जाती है। अगर बच्चा 9 साल से ज्यादा का है तो कोर्ट में बच्चा अपनी बात रख सकता है। वह खुद बता सकता है कि माता और पिता वैसे वह बच्चा किसके साथ रहना चाहता है। बच्चा अगर बड़ा हो गया है तो अक्सर तलाक के मामलों में देखा गया है कि बच्चे की कस्टडी पिता को ही बेटे के बड़े होने के बाद मिल जाती है। अगर बेटी का मामला होता है तो उसमें कस्टडी मां को ही दी जाती है। हालांकि जरूरी नहीं है कि पिता अगर बेटी को अपने पास रखना चाहते है तो कोर्ट में अपनी बात को पूरी तरह से रख सकते है।

तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा

कोर्ट के द्वारा बच्चे की कस्टडी के लिए एक विशेष मापदंड भी निर्धारित किया गया है। कोर्ट को लगता है कि अगर माता-पिता में से कोई भी पूरी तरह से इस मापदंड पर खरा उतर रहा है तो बच्चों की कस्टडी माता-पिता में से किसी एक को मिल जाती है। अगर दोनों में से किसी एक को चुनना है तो कोर्ट इस बात को भी पहले से ही तय करेगा कि बच्चे की परवरिश कौन अच्छे तरीके से करता है?और किसकी आय सबसे ज्यादा है? जो बच्चे को अच्छी शिक्षा सके। उसका मानसिक और शारीरिक तौर से भी विकास कर सके। उसके बाद ही कोर्ट बच्चे की कस्टडी माता-पिता में से किसी एक को दे देता है। कोर्ट को लगता है कि माता-पिता दोनों में से कोई भी बच्चे की कस्टडी के योग्य नहीं है। उस स्थिति में बच्चे की कस्टडी तीसरे पक्ष और उसके दादा दादी नाना नानी या फिर अनाथ आश्रम को दे दी जाती है।

बच्चे की कस्टडी कितने प्रकार की होती है

तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा? बच्चों की कस्टडी तलाक के मामलों में कई प्रकार की दी जाती है आइए जानते हैं…

1. फिजिकल कस्टडी

फिजिकल कस्टडी के अंतर्गत मां-बाप में से किसी एक को बच्चे का प्राइमरी गार्जियन बनाते हैं, तो बच्चा उसी के पास में रहता है। और दूसरे को बच्चे के वेजिटेशन की परमिशन मिलती है। इसके अंतर्गत माता या पिता जिसको वेजिटेशन का अधिकार मिलता है।बच्चे के साथ में वह अपना समय गुजार सकता है।

2. ज्वाइंट कस्टडी

जॉइंट कस्टडी के अंतर्गत बच्चा माता-पिता के रोटेशन में रहता है अर्थात बच्चे को 6-6 महीने के आधार पर माता-पिता के पास रहना पड़ता है। इसमें बच्चा एक निश्चित समय अवधि के लिए दोनों के पास में ही रह सकता है।

3. लीगल कस्टडी

लीगल कस्टडी के अंतर्गत माता-पिता मैं से कोई भी एक वैधानिक रूप से बच्चे की जिंदगी से जुड़े हुए सभी अहम फैसले ले सकते हैं। 18 साल की उम्र नहीं होने तक माता-पिता में स्थित कोई भी एक शिक्षा का,पैसे का, धर्म, मेडिकल सभी जरूरतों को बड़ा फैसला ले सकता है।

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4. सोल कस्टडी

सोल कस्टडी के अंतर्गत माता-पिता में से कोई भी अगर एक अनफिट होता है तो दूसरे पक्ष को बच्चे की कस्टडी आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा बच्चों को माता-पिता मैं किसी एक से खतरा महसूस हो रहा है तो बच्चा कोर्ट के समक्ष अपने दूसरे पक्ष के पास रहने की अनुमति ले सकता है अर्थात दूसरे पक्ष के पास रह सकता है।

5. थर्ड पार्टी कस्टडी

थर्ड पार्टी कस्टडी उसी स्थिति में होती है जब तलाक के बाद माता और पिता दोनों की मृत्यु हो जाए या फिर दोनों माता-पिता की दिमाग की हालत बिल्कुल सही नहीं होती है या फिर दोनों ही माता-पिता बच्चे को प्रताड़ित करने वाले होते हैं तो कोर्ट के द्वारा बच्चे की कस्टडी किसी तीसरे पक्ष को ही दे दी जाती है। थर्ड पार्टी में बच्चे की कस्टडी नाना-नानी दादा-दादी या फिर अनाथ आश्रम में मिलती है।

Conclusion

आज हमने इस पोस्ट के माध्यम से “तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा इसके विषय में जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई फॉर्मेशन सही लगी होगी। अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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