आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से “dal badal kanoon kya hai, dal badal kya hai” इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, आखिर क्यों दल बदल कानून को लागू करने की आवश्यकता पड़ी थी। इसके विषय में आपको जानकारी देंने जा रहे हैं..
Contents
दल बदल क्या है
हमारे देश की राजनीति में “दल बदल” शब्द बहुत प्रचलित है इसको आप आम भाषा में कह सकते हो कि जब सांसद और विधायक के द्वारा अपना दल छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल होना ही दलबदल कहलाता है। जिस तरह से सांसद और विधायक अपनी राजनीति और अपने खुद के निजी स्वार्थ के लिए दलबदल करते रहते हैं। इसके लिए राजनीति में इन सभी सांसद विधायक को “आया राम गया राम” भी कह सकते है।
” किसी दल के सांसद या विधायक के द्वारा अपने दल को छोड़कर किसी दूसरे अन्य दल जाना ही दल बदल कहां जाता है इस स्थिति में हमेशा सरकार के स्थायित्व पर आशंका बनी रहती थी”
दलबदल को आपको आसान शब्दों में बताए तो सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि दल और बदल क्या है? यह दोनों शब्दों के बारे में समझ भी जरूरी है दलबदल में दल शब्द का अर्थ किसी पार्टी से अरदास आज हमारे देश के जैसे अनेक पार्टियां बनी हुई है उनमें से प्रमुख बीजेपी पार्टी और कांग्रेस पार्टी इनको दल कह सकते हैं। इसी तरह सभी पार्टियों को दल ही कहा जाता है।
यहां बदल का अर्थ अदला-बदली से माना गया है। अगर कोई पार्टी का सदस्य या कोई पार्टी दूसरी पार्टी में शामिल होती है। अर्थात किसी पार्टी का सदस्य दूसरी पार्टी में शामिल होता है तो इस तरह की घटना को दलबदल कहते हैं।
और भी आसान शब्दों में आपको जानकारी दे रहे हैं कि जब कोई व्यक्ति या कोई भी पार्टी का जनप्रतिनिधि किसी भी दल के चुनाव चिन्ह पर अगर चुनाव लड़ता है और वह व्यक्ति या जनप्रतिनिधि चुनाव को जीत जाता है और चुनाव जीतने के बाद में वह जनप्रतिनिधि उस उदल को छोड़कर किसी अन्य दल में अगर शामिल हो जाता है तो इस तरह की वारदात को दलबदल कहा जाता है।
दल बदल कानून क्या है
किसी भी दल के सांसद या विधायक के द्वारा जब अपने दल को अर्थात अपनी पार्टी को छोड़कर किसी दूसरी पार्टी में चले जाना ही दलबदल कहलाता है तो इस स्थिति को हमेशा सत्ताधारी सरकार के स्थायित्व पर आशंका बनाए रखते हैं और इसी तरह के दलबदल को रोकने के लिए ही एक कानून को बनाया गया जिसका नाम दल बदल कानून रखा।
जब से हमारे देश में दल बदल कानून लागू हुआ है तब से लेकर आज तक दलबदल करने पर बहुत अंकुश लगा दिया गया है। लेकिन अभी इस तरह से दल बदलने की घटनाओं पर पूरी तरह से रोक नहीं लगी है। दल बदल कानून के लागू होने से अगर किसी भी पार्टी का कोई भी सांसद या विधायक अपने पद को छोड़कर किसी दूसरे पार्टी में शामिल होता है तो उस स्थिति में उस दल के सांसद की विधायक की शक्तियां समाप्त हो जाती हैं।
दलबदल की स्थिति बार-बार होने से सत्ताधारी सरकार की धीरे-धीरे सरकार के जाती है तो इस तरह से बार-बार दलबदल को रोकने के लिए ही इस कानून का निर्माण किया गया जिसको आज हम दल बदल कानून कहते हैं।
दल बदल कानून को पूर्ण रुप से लागू करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि राजनीति के क्षेत्र में पूर्ण रूप से दलबदल जैसी कुप्रथा को समाप्त करना है।
दल बदल कानून कब लागू हुआ था
दल बदल कानून को सन 1985 में राजीव गांधी सरकार के दौरान भारतीय संविधान में संशोधन करने और दल बदल पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए देश मे एक विधेयक लाया गया और इस विधेयक को पूरी तरह से 1 मार्च 1985 तक पूरे देश में लागू भी कर दिया गया था। संविधान की दसवीं अनुसूची दल बदल कानून को शामिल किया गया है। इस संशोधन के माध्यम से ही संविधान में दल बदल कानून को जोड़ दिया गया।
दल बदल की स्थिति तब होती है जब किसी भी पार्टी से सांसद या विधायक अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ने जा पार्टी व्हिप की अवहेलना करते हैं तो उस स्थिति में कुछ सदस्य की सदस्यता को समाप्त कर सकते हैं और उस पर दलबदल निरोधक कानून भी लागू किया जा सकता है लेकिन अगर किसी भी पार्टी के एक साथ दो तिहाई सांसद विधायक एक साथ पार्टी को छोड़ देते हैं तो उन पर यह कानून लागू नहीं होता है पर उनको स्वतंत्र दल बनाने की अनुमति भी नहीं मिलती है और ना ही वह किसी दूसरे दल में शामिल हो पाएंगे
क्यों जरूरत पड़ी दल बदल कानून बनाने की?
दल बदल कानून को बनाने की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया में राजनीतिक दल सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वह अपने हित में किसी भी तरह के फैसले को नहीं लेते हैं सामूहिक आधार पर अपने फैसले जनता के हित के लिए लेते हैं जैसे जैसे समय धीरे-धीरे देता चला गया नेता अपने हिसाब से राजनीति में जोड़-तोड़ करने लग गए थे अलग-अलग तरह के फेरबदल किए जा रहे थे।
विधायकों और सांसदों के इस तरह के जोड़-तोड़ की वजह से ही सरकारें बनने लगी थी और गिरने लगी थी क्योंकि कोई नेता अपना दल छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो रहा था इस तरह से आपस में दल बदल हो रहे थे तो इसका असर सरकार पर पढ़ रहा था। इस स्थिति की वजह से राजनीतिक व्यवस्था में पूरी तरह से अस्थिरता लग गई थी। इन सभी प्रक्रियाओं को रोकने के लिए ही देश में दल बदल कानून को लागू किया गया, ताकि इस तरह की पार्टियों के द्वारा सांसदों और विधायकों के दल बदलने की घटनाए ना हो। हालांकि अभी पूरी तरह से यह हमारे संविधान में शामिल तो हो गया है लेकिन अभी इस कानून पर धीरे-धीरे प्रोफेसर जा रहा है और अब दल बदल करने की जो घटनाएं हैं वह बहुत कम देखने को मिल रही है। इसी वजह से दल बदल कानून को देश में लागू किया गया था।
दल बदल से क्या आशय है, क्या प्रावधान किए गए
दल बदल विरोधी कानून में कोई भी पार्टी का मेंबर अपनी पार्टी को बदलने के लिए निर्वाचित सदस्य चुनाव जीतने के बाद में किसी पार्टी में शामिल होने वाली निर्दलीय सदस्य सदन में पार्टी के पक्ष के खिलाफ वोट करने वाली सदस्य और खुद को वोटिंग से अलग रखने वाले सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का इसमें प्रावधान बताया गया है इसी तरह से कोई भी मनोनीत विधायक या सांसद 6 महीने के अंदर किसी पार्टी में शामिल हो गया है तो उस उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कर दिया जा सकता है।
Conclusion
आज हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से “दल बदल कानून क्या होता है” इसके विषय में जानकारी बताई है। हमें उम्मीद है कि आपको जो भी जानकारी हमने दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आप इसी तरह की जानकारियों से जुड़े रहना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर कंटिन्यू विजिट कर सकते हैं और आपको हमारा पोस्ट पसंद आया तो कमेंट करके जरूर बताएं।