जनसंख्या नियंत्रण कानून क्या है- Jansankhya niyantran kanoon UP

आज हमारे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून का बिल एक बहुत बड़ा चर्चा का विषय बन चुका है। इस बिल के दौरान दो या दो से अधिक बच्चे होने पर माता-पिता को सरकारी सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश रखी गई है। तो आज की इस लेख में हम आपको “जनसंख्या नियंत्रण कानून क्या है” और इसको क्यों लागू किया गया। इसके विषय में ही जानकारी देने जा रहे हैं,आइए जानते हैं जनसंख्या नियंत्रण कानून के बारे में…

जनसंख्या नियंत्रण कानून क्या है

jansankhya niyantran kanoon

नियंत्रण कानून के अंतर्गत किसी भी माता-पिता को दो या दो से अधिक बच्चे होने पर उनको सरकारी सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश की गई है और इसका उल्लंघन करने पर सरकारी नौकरी से हटाने मतदान के अधिकार से वंचित रखने चुनाव लड़ने और राजनीतिक पार्टी का गठन करने के अधिकार से वंचित करने जैसे प्रावधान लागू करने की बात इस कानून में कहीं गई है। इसके अलावा इस दिल में एक बच्चे वाले माता-पिता को सरकारी नौकरी में भी पहले वरीयता मिलेगी, इस तरह की सुविधाओं को देने की सिफारिश की बात कही गई है।

Jansankhya niyantran kanoon UP क्यों चर्चा में है

साल 2022 में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश राज्य की जनसंख्या नीति 2021 का अनावरण कर दिया है जनसंख्या नियंत्रण का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में 2026 तक उत्तर प्रदेश की जन्म दर को 2.1 प्रति हजार जनसंख्या व 2030 तक 1.9 जन्म दर लाना अनिवार्य रहेगा। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश राज्य की जनसंख्या 2.7 प्रति हजार जनसंख्या है।

अब आपको बता देना चाहते हैं कि आप किस देश की राजनीति में जनसंख्या नियंत्रण कानून उत्तर प्रदेश राज्य का इतना चर्चा में क्यों है क्योंकि यह एप्ट अगर उत्तर प्रदेश राज्य में लागू हो गया वहां पर दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले सरकारी नौकरियों में आवेदन नहीं कर पाएंगे और उनका प्रमोशन भी नहीं हो पाएगा।

आप सभी जानते हैं उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य इसके अलावा यहां पर दो से अधिक बच्चे रखने वालों को 77 सरकारी योजनाओं अनुदान से भी पूर्णतः वंचित रखने का प्रावधान बनाया गया है। अगर है कालू पूरी तरह से लागू हो गया तो 1 साल के अंदर सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों और स्थानीय निकाय में चुने गए जनप्रतिनिधियों को भी अपना शपथ पत्र देना होगा।उस शपथ पत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू होने के बाद में दो ही बच्चे रहेंगे और शपथ पत्र देने के बाद अगर कोई तीसरी संतान को पैदा करता है तो उस प्रतिनिधि को भी उस पद से हटा दिया जाएगा या फिर से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव देना होगा इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन तथा उनको बर्खास्त करने की सिफारिश इस एक्ट के तहत निर्धारित की गई है।

भारत के किन राज्यों में लागू हैTwo child policy

जनसंख्या नियंत्रण कानून के चलते हुए भारत के राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र और गुजरात जैसे बड़े राज्यों में पहले से ही दूर बच्चों की नीति राज्यों में लागू की गई थी राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 के अनुसार सरकारी नौकरी के मामले में जिन उम्मीदवारों के दो या दो से ज्यादा बच्चे हैं उनको नियुक्ति का पात्र नहीं माना जाता था मध्य प्रदेश में साल 2001 से 2 बच्चों की नीति का पालन हो रहा है महाराष्ट्र सिविल सेवा अर्थात छोटे परिवार की घोषणा निगम 2005 के मुताबिक 2 से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को राज्य सरकार के किसी भी पद पर आयोग घोषित कर दिया जाएगा वहीं 2005 में सरकार के द्वारा गुजरात स्थानीय प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन किया गया और बदलाव के बाद दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार को पंचायत नगर पालिकाओं और नगर निगम के निकाय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।

जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों जरूरी है

जनसंख्या नियंत्रण कानून इसलिए जरूरी है जो लोग तार्किक तरीके से जनसंख्या नियंत्रण कानून की तर्क वितर्क करके बात करते हैं। उनकी बात को अनदेखा नहीं कर सकते देखा जाए तो किसी भी देश की जनसंख्या जब बेकाबू हो जाती है, तो संसाधनों के साथ-साथ उसकी गैर अनुपातिक वृद्धि भी होने लग जाती है। इस स्थिति को देखते हुए उस में स्थिरता लाना बहुत जरूरी होता है। 

भारत में विकास की गति की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धि दर बहुत ज्यादा है संसाधनों के साथ-साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जब किसी भी भाग में विकास की दर कम हो रही है और जनसंख्या वृद्धि अधिक हो रही है तो ऐसे स्थान पर लोग रोजगार की तलाश में पलायन करने लग जाते हैं और दूसरी जगह पर जाकर नए नए रोजगार के साधन जोड़ते हैं लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से और जनसंख्या की अधिकता की वजह से लोगों में तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है।

भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में कहीं ना कहीं क्षेत्रवाद संसाधनों के लिए ही संघर्ष से जुड़ रहा है इन सब हालातों को देखते हुए सरकार के लिए बहुत जरूरी हो गया है कि पूरे देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया जाए।

जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सुप्रीम कोर्ट की राय

जनसंख्या नियंत्रण कानून के अंतर्गत हमारे देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट की राय के अनुसार सन 1976 में किए गए संविधान के 42 वें संशोधन में जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का अधिकार सरकार को दे दिया गया है। केंद्र सरकार या फिर राज्य सरकार दोनों ही जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बना सकते हैं लेकिन कोई भी ऐसा नहीं करता है, देश में एक राष्ट्रीय नीति नहीं है जोकि किसी जोड़े के लिए बच्चों की संख्या को सीमित कर सकें। सुप्रीम कोर्ट को अभी तक एक ऐसी नीति की जांच करने का मौका भी नहीं मिल रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी याचिका भी डाली जा चुकी है जिसमें मांग की गई है कि केंद्र सरकार को दो बच्चों की नीति लागू करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मिले।

Conclusion

आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी को “जनसंख्या नियंत्रण कानून क्या है” इसके विषय में जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि आपको जो भी जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से दी है, वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आप इसी तरह की जानकारियों से जुड़े रहना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर कंटिन्यू विजिट कर सकते हैं और आपको हमारा लेख पसंद आया तो कमेंट करके जरूर बताएं।

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