Partnership Deed in Hindi + Format

यह बात हम सभी भली-भांति जानते हैं कि वर्तमान समय में हमारे देश व्यवसाय शुरू करने और इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने का चलन काफी ज्यादा हो चुका है। देश की इकोनॉमी जिस तरह से आगे बढ़ रही है उसी तरह से देश के व्यवसाय भी आगे बढ़ रहे हैं और यही देखते हुए लोग व्यवस्थाएं की तरफ अब नौकरियों के मुकाबले अधिक ध्यान दे रहे हैं।

वर्तमान समय में व्यवसाई की दुनिया में लोग तेजी से आगे बढ़ रही है अकेले नहीं बल्कि अन्य लोगों के साथ मिलकर व्यवसाय शुरू करना और उसे चलाना पसंद करते हैं जिससे कि वह व्यवसाय में तेजी से ग्रोथ कर सकें। अर्थात काफी सारे लोग पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करते हैं परंतु पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करने वाले लोगो को Partnership Deed करने की सलाह भी दी जाती है।

अगर आप Partnership Deed के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखता तो यह लेख पूरा पढ़े क्योंकि इस लेकिन हम आपको Parnership Deed की पूरी जानकारी (Partnership Deed in Hindi + Format) देंगे।

Partnership क्या होती है?

 

Partnership Deed की पूरी जानकारी हम आपको इस लेख में देंगे लेकिन उससे पहले यह समझने में ज्यादा जरूरी है कि आखिर Partneship क्या होती है? तो अगर आप Partneship को नही समझते तो जानकारी के लिए बता दे की Partnership को हिंदी में ‘साझेदारी’ कहा जाता है और Partnership होती है दो या दो से अधिक लोगों के बीच में होने वाला औपचारिक समझौता।

यानी कि थोड़ी सरल भाषा में कहा जाए तो दो या दो से अधिक लोगों के बीच में होने वाले औपचारिक समझौते को पार्टनरशिप या साझेदारी कहा जाता है। Partneship के अंतगर्त जब लोग व्यवसाय करते है तो उनके बिच मालिकाना हक, व्यवसाय को चलाने के लिए जिम्मेदारियों को बटता है और साथ ही लाभ या हानि को साझा होती है। अर्थात पहले हुए निर्धारण के अनुसार वह व्यवसाय को चलाते है।

Partnership Deed क्या होती है – Partnership Deed in Hindi

Partnership के बारे में हमने आपको बताया की Partneship के अंतगर्त जब लोग व्यवसाय करते है तो उनके बिच मालिकाना हक, व्यवसाय को चलाने के लिए जिम्मेदारियों को बटता है और साथ ही लाभ या हानि को साझा होती है। परन्तु इन चीजों में आगे जाकर दिक्कत ना है इसलिए पार्टनरशिप डीड (Parnership Deed) बनाया जाता है।

पार्टनरशिप डीड एक तरह से Partneship Agreement ही होता है जिसके अंतगर्त किसी व्यवसाय को शुरु करने से पहले साझेदारों के बीच होने वाले समझौते शामिल होते है। यानि की अगर आप नहीं समझ पा रहे की Parnership Deed क्या है तो बता दे की Partnership Deed में Partnership से जुड़े सभी आवश्यक समझौते जैसे की लाभ, हानि, दायित्व का बंटवारा, नए साझेदारों को शामिल करना, नियम, वेतन, साझेदारी से हटने की प्रक्रिया आदि शामिल होती है।

कई बार ऐसा होता है कि शुरू होता है और बाद में पार्टनर्स में कई चीजों को लेकर समस्याए आने लगती है जैसे कि विभाजन को लेकर या फिर लाभ या हानि या फिर मालिकाना हक को लेकर। ऐसे में इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए या कहां जाए तो पार्टनरशिप में अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए पार्टनरशिप डीड बनाया जाता है जो एक प्रकार का आधिकारिक डॉक्युमेंट होता है जो पहले हुए समझौते को स्पष्ट करता है।

ऐसे में पार्टनर्स बिजनेस और साझेदारी को लेकर सुरक्षित रहते हैं और उनके बीच में गलतफहमी होने की समस्या नहीं रहती क्योंकि उनके पास पार्टनरशिप डीड मौजूद होता है जो उन्हें उनके द्वारा किए गए समझौते के बारे में बताता है। अब क्युकी यह लीगल डॉक्युमेंट है तो ऐसे में सामान्य सी बात है की इसके होने पर धोखाधडी की संभावनाए भी कम होती है।

Partnership Deed के बारे में पूरी जानकारी

Partnership Deed क्या है के बारे में तो हम आपको पर्याप्त जानकारी दे चुके है परंतु इसे बेहतरीन तरिके से समझने के लिए आपको इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। तो बता दे की Partnership Deed भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत पंजीकृत है, इसलिए Partners के पास रखे गए Partnership Deed को किसी तरह से बदला या नष्ट नहीं किया जा सकता है।

यानि की यह लीगल डॉक्यूमेंट है जो पार्टनर्स में होने वाली गलत फ़हमियों और समस्याओ को होने की सम्भावनाओ को कम करता है और क्योंकि यह एक तरह से समझौते का एक सबूत होता है तो ऐसे में पार्टनर्स के बिच में धोखेधड़ी की सम्भवनाए भी कम हो जाती है। वर्तमान समय में किसी भी व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करने से पहले पार्टनरशिप डीड बनवा देना चाहिए जो कि आगे जाकर समझ ना आए

Partnership Deed में क्या क्या होता है?

यह बात हम सभी भली-भांति जानते हैं कि अगर कोई एक व्यक्ति किसी व्यवसाय को शुरू करते हैं तो उससे बेहतर हमेशा यही होता है कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों से विषय को मिलकर शुरू करें क्योंकि इस प्रकार की स्थितियों में हमेशा मोना पर होने की संभावना अधिक होती है और काम बट जाने पर काम भी अधिक होता है तो ऐसे में लोग आज के समय में पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करना काफी ज्यादा पसंद करते है।

कई मामलों में देखा गया है कि यह काफी फायदेमंद भी साबित होता है। परन्तु कई मामले ऐसे भी जिन्हें देखकर लगता है कि पार्टनरशिप में व्यवसाय शुरू करना उतना सही नहीं होता। ऐसे में इस प्रकार के मामले में अपना नाम शामिल करने से बचने के उपायों में एक बेहतरीन उपाय Parnership Deed माना जाता है। Partnership Deed के अंदर निम्न चीजे होती है:

साझेदारी का उद्देश्य: इसमें पार्टनर्स द्वारा किए जाने वाले बिजनेस के प्रकार को स्पष्ट करने के लिए सभी भागीदारों का नाम, पता तथा अन्य जरुरी जानकारी शामिल होती है।

साझेदारी व्यवसाय का स्थान: इसमें उस स्थान की जानकारी शामिल होती है जहां व्यवसाय किया जा रहा है अर्थात जहां व्यवसाय को ऑपरेट हो रहा है।

साझेदारी की अवधि: पार्टनरशिप में साझेदारी की अवधि भी होती है जिसमें कंपनी के शुरू होने की दिनांक और पार्टनरशिप की अवधि की जानकारी होती है।

पूंजी : इसमें  कंपनी की पूंजी अर्थात नकद, संपत्ति, सामान या सेवाओं का सहमत मूल्य शामिल होता है और इसका विवरण भी होता है की किसने कितना दिया है।

पूंजी की निकासी: इसमें पूंजी से निकाले गए पैसों का वर्णन होता है और इस बात का विवरण भी होता है कि क्या इस पर कोई ब्याज आदि होगा।

वेतन और कमीशन: इसमें पार्टनर को मिलने वाले वेतन या फिर कमीशन आदि की जानकारी होती है अर्थात किसको कितना प्रतिशत कमीशन या वेतन मिलेगा।

लाभ और हानि अनुपात: इसमें पार्टनर के बीच में आपस में बैठने वाले लाभ या हानि के बारे में विवरण होता है जिससे कि बाद में कंफ्यूजन ना हो।

साझेदारी को भंग करने हेतु विनियमन: इसमें इस बात का विवरण होता है कि अगर कोई पार्टनर अपनी पार्टनरशिप बंद करता है तो उससे कैसे निपटारा किया जाएगा।

नए साझेदार के प्रवेश के नियम: इसमें इस बात का विवरण होता है कि अगर कोई नया साझेदार कंपनी में आता है तो उसके लिए क्या नियम निर्धारित होंगे।

पालन किए जाने वाले नियम: इसमें किसी पार्टनर के दिवालिया होने पर पालन किए जाने वाले नियमों का वर्णन होता है।

खाता और लेखा परीक्षा विवरण: इसमें कंपनी के लेनदेन की जानकारी का विवरण होता है और पार्टनर के उनमे दिए गए योगदान का भी।

साझेदार की स्वैच्छिक निकासी: अगर कोई पार्टनर स्वैच्छिक निकासी करता है तो उसके लिए निर्धारित नियमों का वर्णन इस भाग में होना चाहिए।

भागीदार के कर्तव्य: पार्टनर का क्या काम और कर्तव्य है उसका विवरण भी पार्टनरशिप डीड में होता है और उसका उल्लेख इस भाग में होता है।

बैंकिंग और पार्टनरशिप फंड: इसमें कंपनी के नाम पर रखे गए फंड्स की जानकारी होती है अर्थात वह किसके खाते में और कितना है।

ऋण: इसमें कंपनी के द्वारा जरूरतो के अनुसार लिए जाने वाले लोन्स के लिए पार्टनर्स की सहमति का उल्लेख होता है।

साझेदारी विलेख (Partnership Deed) के लाभ

यह बात हम सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में पार्टनरशिप में व्यवसाय करना काफी फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इससे व्यवसाय के तेजी से आगे बढ़ने और फायदेमंद बनने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती है परंतु कई बार ऐसा होता है जब पार्टनरशिप में व्यवसाय करने पर आगे जाकर लोगों को समस्या आने लगती है जो मुख्य रूप से कार्य और लाभ या हानि आदि को लेकर होती है।

इसके अलावा भी कई अन्य कारणों से यह समस्याए हो सकती है। ऐसी स्थिति में Partnership Deed आपकी मदद करता है। कई लोग Partnership Deed के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते तो एसएमएस मन की बात है कि उन्हें इसके फायदों के बारे में भी जानकारी नहीं है। तो अगर आप नहीं जानते की Partnership Deed के फायदे क्या है, तो वह कुछ इस प्रकार है:

  • कई बार पार्टनरशिप में समस्या आने पर जब मामले अदालत में जाते हैं तो यह उसमें काफी फायदेमंद साबित होता है।
  • पार्टनरशिप डीड होने पर व्यवसाय में साझेदारी आदि को लेकर होने वाली कन्फ्यूजन की संभावनाए नहीं रहती।
  • पार्टनरशिप डीड आधिकारिक तौर पर प्रत्येक पार्टनर के कर्तव्य और कार्य आदि को स्पष्ट कर देता है जिससे आगे समस्या नहीं आती।
  • यह लाभ, हानि या मालिकाना हक आदि को लेकर भी पार्टनर के बीच में सब कुछ स्पष्ट कर देता है जिससे इन मामलों में आगे जाकर गलतफहमी पैदा नहीं होती।

Partnership Deed Format

निष्कर्ष!

यह बात हम सभी भली-भांति जानते कि वर्तमान समय में हमारे देश में व्यवसाय शुरू करने या फिर कहा जाए तो स्टार्टअप आदि करने का ट्रेंड चल रहा है जो वाकई में इस देश को आगे बढ़ाने के लिए काफी ज्यादा जरूरी है। आज के समय में काफी सारे लोग नौकरी करने के मुकाबले व्यवसाय शुरू करके उसे सफल बनाने को ज्यादा बेहतर मान रहे हैं क्योंकि कई मामलों में देखा गया है कि नौकरी के मुकाबले व्यवसाय में अधिक सुविधा और ग्रोथ की सम्भावनाये रहती है।

कोई भी व्यक्ति अकेला व्यवसाय शुरु करता है तो ऐसे में उसके विरोध की संभावना है उन लोगों के मुकाबले कम होती है जिन्होंने मिलकर व्यवसाय शुरू किया है अर्थात पार्टनरशिप वाले व्यवसाय ज्यादा तेजी से ग्रो करते हैं। परंतु आगे जाकर पार्टनरशिप में भी समस्या आने की संभावना रहती है जिससे बचने के लिए Partnership Deed जरूरी होता है।

कई लोग है जो Partnership Deed के बारे में नहीं जानते और यही कारण है की हमने यह लेख तैयार किया है जिसमे Partnership Deed in Hindi की पूरी जानकारी दी है।

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