आज हम आपको इस पोस्ट में हिंदी में पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी इस लेख के माध्यम से बताएंगे…
आपने अक्सर देखा होगा कि अक्सर तलाक के मामलों में महिला की सुनवाई होती है और शायद कहीं ना कहीं देखा जाए तो महिला ही तलाक के लिए अपना केस दर्ज करती है तो तीन तलाक के लिए पुरुषों के क्या अधिकार है, इसके बारे में बहुत कम सुनने को मिलेगा। लेकिन बहुत से मामलों में शायद पुरुषों को यह मालूम नहीं होता कि मेंटेनेंस कस्टडी आदि के मामलों में भी पुरुष अपना केस मजबूत बना सकते हैं।
अधिकतर केस में यह देखा गया है कि महिलाओं के वैवाहिक और वित्तीय जीवन में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इन सब परिस्थितियों में पुरुषों की समस्याओं पर कोई भी जल्दी से गौर नहीं करता है
पुरुषों की शिकायत हमेशा बनी रही है कि न केवल तलाक बल्कि बच्चों की कस्टडी और दहेज ऐसे मामलों में कानूनी सहायता महिलाओं को ही ज्यादा मिलती है लेकिन आज के समय में हमारे संविधान में इस तरह के बदलाव कर दिए गए हैं जिससे पुरुष भी अपना पक्ष मजबूत कर सकते हैं सन 2018 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा से यह पता चला है कि अब तक 43.1% दहेज के मामलों में पुरूष की रिहाई देखने को मिली है और 1.5 प्रतिशत पुरुषों को केवल दोषी बनाया गया है डिवोर्स के मामलों में पुरूष भी अपना पक्ष मजबूत बना सकते हैं इसके लिए उनको अपने अधिकारों की जानकारी होना चाहिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे कि आखिर भारत में तलाक के बाद पुरुषों के क्या अधिकार होते हैं उन सभी के विषय में इस आर्टिकल के द्वारा आप को जानकारी देने जा रहे हैं आइए जानते हैं…
इस पोस्ट में हिंदी में पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून के बारे में, पुरुष तलाक कैसे ले, पुरुषों के कानूनी अधिकार के बारे में बताया गया है।
Contents
पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून
महिलाओं की तरह ही पुरुषों के लिए भी तलाक के कुछ नए कानून बनाए गए हैं आइए जानते हैं…
पुरुष तलाक कैसे ले
सबसे पहले तो आपको बता दें कि आज महिलाओं की तरह पुरुष भी अपने तलाक के लिए खुद कोर्ट में अपनी याचिका दायर कर सकते हैं उनका भी यह अधिकार दिया गया होता है तलाक की याचिका दायर करने के लिए किसी भी तरह की आपसी सहमति की जरूरत नहीं पड़ती है महिलाओं की तरह पुरुष भी अत्याचार मानसिक अस्थिरता उनके बर्ताव व्यवहार में बदलाव पार्टनर को छोड़कर चले जाने और जनहानि होने का हवाला देख कर आप अपना केस फाइल कर सकते हैं।
पुरुष तलाक कैसे ले: तलाक की याचिका फाइल करने के लिए पुरुषों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकि हम को किसी तरह की कोई समस्या ना खड़ी हो आइये जानते हैं
- पुरुषों को पत्नी से कुछ इस तरह के संबंध बनाकर रखने चाहिए जिससे किसी प्रकार की कोई शारीरिक मौली किया फिर यौन उत्पीड़न की कोई गुंजाइश ना रहे।
- आप को भले ही एक घर में रहने में बहुत मुश्किल हो रही होगी लेकिन आपको घर छोड़कर कहीं नहीं जाना है जिसकी वजह से अन्य खर्चों से भी बच जाएंगे और कोर्ट की सुनवाई के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट्स और सबूत भी इकट्ठा करने में आसानी होगी।
- डिवोर्स से पहले किसी तरह के अन्य किसी भी रिश्ते को आप को नहीं जोड़ना है क्योंकि अगर आप ऐसा करेंगे तो आप अपने पक्ष को कमजोर कर लेंगे।
- सोशल मीडिया पर पुरुषों की गतिविधियां नॉर्मल रहनी चाहिए।
- गलती से भी गुस्से में किसी भी प्रकार का अजीब टेक्स्ट मैसेज अपने पार्टनर को नहीं भेजा ना किसी अपशब्द का इस्तेमाल करना और किसी भी तरह की धमकी देने से बचे रहना चाहिए।
- किसी भी तरह का कोई फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन खरीदारी या बिक्री करने कोई इरादा अगर हो तो उसको डिवोर्स फाइल करने से पहले ही कर देना चाहिए बाद में करना सही नहीं होगा।
- अगर आप आपसी सहमति से बिना डिवोर्स की याचिका दायर होती है तो फिजिकल और फाइनेंशियल ऐसेट का बंटवारा भी हो जाता है।
- अगर पुरुष को किसी तरह का कोई डाउट अर्थात संदेह हो रहा है कि महिला उसके क्रेडिट कार्ड का किसी तरह का गलत इस्तेमाल कर रही है जो आपके ज्वाइंट अकाउंट से जुड़ा हुआ है तो क्रेडिट कार्ड को कैंसिल करने तथा अकाउंट खाली करने के बाद आप याचिका फाइल कर सकते हैं।
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पुरुषों के कानूनी अधिकार- मेंटेनेंस के लिए
- अलग-अलग एक्ट के अंतर्गत पुरुषों के मेंटेनेंस के भी अधिकार अलग ही डिपेंड करते हैं
- जैसे हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अंतर्गत पति-पत्नी दोनों को ही मेंटेनेंस का अधिकार प्राप्त है।
- स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के अंतर्गत केवल महिलाओं के पास ही यह अधिकार दिया गया होता है
- मेंटेनेंस की जो रकम है वह कोर्ट के द्वारा निश्चित की जाती है।
- पुरुषों के कानूनी अधिकार- मेंटेनेंस रकम को तय करने के लिए पति पत्नी की आमदनी और फाइनेंशियल स्टेटस का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कुछ परिस्थितियों में तो पुरुष मेंटेनेंस देने से अपने आप को बचा भी सकते हैं।
किन परिस्थितियों में मेंटेनेंस देने से पुरूष बचते हैं
पुरुष अगर कोर्ट में यह साबित कर दें कि वह बहुत कम कमाता है। जिससे कि वह खुद का भी ख्याल ठीक तो नहीं रख पाता है या फिर पत्नी की आमदनी उससे ज्यादा अच्छी है या पत्नी ने दूसरी शादी भी कर ली या पुरूष को छोड़ देती है या फिर किसी अन्य पुरुष के साथ उसके संबंध होते हैं इन सब परिस्थितियों में पुरुष अपने आप को मेंटेनेंस देने से बचा सकते हैं। जिसके लिए उनको खुद की आमदनी का सबूत या फिर पत्नी की अपर्याप्त आमदनी का सबूत अदालत में देना पड़ता है। उसके बाद ही वह मेंटेनेंस देने से बच सकते हैं।
बच्चों की कस्टडी
जब पति पत्नी का डिवोर्स आपसी सहमति से होता है तो ऐसी स्थिति में पति-पत्नी खुद ही बच्चे की कस्टडी के बारे में आपस में निश्चित कर सकते हैं मुख्य रूप से कोर्ट उनका फैसला भी स्वीकार कर लेती है एकतरफा तलाक यदि आपसी सहमति के बिना तलाक के पुरुषों का भी बच्चों की कस्टडी पर बराबर का अधिकार दिया जाता है।
अदालत में बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस बात का निर्णय भी लिया जाता है कि बच्चे की कस्टडी किसको मिले। अधिकर पेरेंट्स को कोर्ट बच्चे की कस्टडी दे देता है।
Conclusion
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया हिंदी में पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून- पुरुष तलाक कैसे ले इसके विषय में विस्तार से जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताई है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी पोस्ट पसंद आई होगी। अगर फिर भी आपको किसी तरह का कोई सवाल है या संदेह है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन मैं जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।