आज आपको इस आर्टिकल के द्वारा हम “स्त्रीधन से आप क्या समझते हैं” इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप भी स्त्रीधन का सही अर्थ समझना चाहते हैं तो आपको हमारी पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना होगा तभी आप स्त्रीधन से संबंधित सभी जानकारियों को समझ पाओगे आइए फिर जानते हैं…
स्त्रीधन का अर्थ- वूमेन एंपावरमेंट का कितना भी दावा कर ले लेकिन सच में आज ज्यादातर महिलाएं स्त्री धन से संबंधित अपने अधिकारों के बारे में कुछ नहीं जानती है वह इन सब के प्रति बिल्कुल जागरूक भी नहीं है कोई भी व्यक्ति आपके स्त्रीधन को आपसे नाथ जी ने इसके लिए आपको पूरी जानकारी कानून के इससे जुड़ी हुई होनी चाहिए तभी आप खुद के लिए और अपने स्त्रीधन के लिए लड़ सकती हैं आज की इस पोस्ट के द्वारा हम आपको यही समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि हर महिला को अपने अधिकार के बारे में समझना और जागरूक रहना बहुत जरूरी है आइए जानते हैं स्त्रीधन से क्या समझते हैं
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स्त्रीधन से आप क्या समझते हैं ?
शादी के समय पर एक लड़की को वर पक्ष की तरफ से और वधू पक्ष की तरफ से जो भी सामान उपहार धन मिलता है उसको स्त्रीधन कहा जाता है। इस पर केवल वधू का ही अधिकार होता है लड़के का अधिकार नहीं होता है। स्त्री धन को दहेज की गिनती में नहीं माना जाता है। लड़की चाहे तो इसका उपयोग अपने हिसाब से कर सकती है। अपनी आवश्यकता के अनुसार इनको बेच भी सकती है और इनसे मिलने वाले धन को अपनी इच्छा के अनुसार खर्च कर सकती है। स्त्रीधन कानूनी रूप से लड़की का ही समर्थन करता है। इसके अलावा लड़के को दिए जाने वाले कपड़े, फर्नीचर,चेयर, पैसे यह सब दहेज के अंतर्गत आते हैं।
लेकिन जब पति पत्नी के बीच में विवाद उत्पन्न होता है और पत्नी अपने मायके या फिर अन्य किसी जगह पर रहने लग जाती है उसका सभी सामान स्त्रीधन अभी ससुराल में ही है जब पति या सास-ससुर से लड़की से धन की मांग करती है और वह लोग देने से मना कर देते हैं उसी स्थिति में यह अपराधिक माना जाता है इसके लिए वह आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत केस दर्ज कर सकती है।
पत्नी अगर चाहे तो अपने स्त्रीधन का क्लेम ससुराल से ले सकती है यदि पति पर 498a यानी दहेज प्रताड़ना का केस भी लगा हुआ है तो उसी केस के चलते हुए लड़की स्त्रीधन का भी केस कर सकती है यह केस धारा 406 के अंतर्गत दर्ज होता है।
स्त्रीधन से जुड़े हुए अधिकार कौन-कौन से है?
स्त्रीधन महिला की पहली प्राथमिकता है विवाह से पहले या विवाह के बाद में उसको कोई भी उपहार में मिली हुई वस्तु या संपत्ति स्त्रीधन नहीं शामिल है।
शादी से पहले या उसके बाद में लड़की को मिलने वाली संपत्ति शादी के समय लड़की को मिलने वाले गिफ्ट जेवर आदि सभी चीजों को स्त्रीधन धन की श्रेणी में माना जाता है।
शादी के समय लड़के और लड़की दोनों की तरफ से फर्नीचर टीवी और भी बहुत सी चीजें उपहार स्वरूप दी जाती है वह भी इसलिए धन के दायरे में ही मानी जाती है।
स्त्रीधन में चल और अचल दोनों ही तरह की संपत्तियों को शामिल किया गया है इसके अंतर्गत सोने चांदी के गहने वह संपत्ति गाड़ी होम अप्लायंसेज फर्नीचर इत्यादि इसमें शामिल है।
शादी के समय या फिर उससे पहले रिश्तेदार सास-ससुर दोस्तों से मिलने वाले गिफ्ट भी स्त्रीधन के दायरे में ही शामिल किए जाते हैं।
शादी के पहले और उसके बाद नौकरी या बिजनेस में होने वाली महिला की इनकम और उसकी बचत भी स्त्री धन में शामिल है लड़की चाहे तो किसी को भी अपनी मर्जी से गिफ्ट कर सकती है या फिर अपनी इच्छा के अनुसार में अपनी वसीयत को लिख सकती है।
स्त्री धन के बारे में फैसला करते समय पत्नी को अपने पति से भी इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है और ना ही उसका पति या ससुराल पक्ष के कोई भी लोग उसको इस बात के लिए बाध्य करते हैं।
स्त्रीधन पर पूरी तरह से अधिकार स्त्री का ही होता है इस बात को ध्यान में जरूर रखें कि दहेज की श्रेणी में स्त्री धन नहीं आता है। स्त्री धन और दहेज दोनों में फर्क होता है।
यदि स्त्री की मर्जी से उसका पति स्त्रीधन का प्रयोग कर रहा है लेकिन विवाद होने की स्थिति में तलाक होने की स्थिति में उसको वह लौटाना भी पड़ेगा।
स्त्रीधन क्या है?
विवाह होने के समय अग्नि को साक्षी मानकर उपहार स्वरूप दी जाने वाली वस्तुओं में पिता के द्वारा कन्या को दिए जाने वाले उपहार स्त्रीधन में आते हैं।
वधु के द्वारा बड़ों का आशीर्वाद लेने के बाद उनके द्वारा दिया जाने वाला उपहार भी इसमें शामिल है।
इसके अलावा शादी के बाद पति के परिवार से मिलने वाले गिफ्ट भी सास ससुर के द्वारा दिए जाने वाले उपहार को इसमें शामिल किया गया है।
माता पिता के संबंधों के द्वारा मिलने वाले उपहार और भरण पोषण के लिए दिया गया धन या फिर उस धन से खरीदी गई कोई भी प्रॉपर्टी को भी स्त्रीधन में शामिल किया गया है। इसके अलावा स्त्री के द्वारा की गई बचत भी इसमें शामिल है।
स्त्रीधन के अंतर्गत किन चीजों को शामिल नहीं किया जाता है?
शादी होते समय लड़के को दिए जाने वाले जेवर कपड़े और भी बहुत से कीमती तोहफे स्त्रीधन में शामिल नहीं होते हैं। इन सभी को दहेज में शामिल किया जाता है।
पति के द्वारा पत्नी के नाम खरीदी गई कोई भी प्रॉपर्टी स्त्रीधन में शामिल नहीं होती है। जब तक पति अपनी पत्नी को उपहार में ना दें। तब तक वह पति की ही रहती है।
यदि आपके पत्नी कामकाजी या नौकरी पेशा महिला है तो घर पर खर्च की गई आय को वापस पाने का वह दवा बिल्कुल नहीं खर्च कर सकती हैं।
स्त्रीधन पर महिला के अधिकार क्या है?
स्त्रीधन पर महिलाओं के क्या अधिकार है उसकी जानकारी इस प्रकार है
- महिला अपने असली धर्म की खुद मालिक होती है उस स्त्री धन पर किसी अन्य व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं होता है उससे ना कोई यह अधिकार छीन सकता है।
- महिलाओं को इस को अपने पास रखने और इसका उपयोग करने का पूरा अधिकार है इस अधिकार को उनसे कोई नहीं ले सकता है।
- किसी महिला का स्त्रीधन उसकी मर्जी के बिना कोई रख लेता है तो वह हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 की धारा 14 के अंतर्गत उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं।
- किसी महिला को अपने वैवाहिक बंधन को तोड़ ना पड़े या घर छोड़ना पड़े तो वह इसलिए ध्यान अपने साथ ले जा सकती है ऐसा करने पर उसको कोई भी नहीं रोक सकता है।
- किसी महिला के पति का परिवार अगर स्त्री धन नहीं ले जाने दे रहा है तो वह उसके खिलाफ तुरंत पुलिस में कंप्लेंट भी दर्ज कर सकती है इसके लिए ससुराल वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्त्रीधन की सुरक्षा महिला कैसे की जाती हैं?
स्त्रीधन की सुरक्षा महिला को खुद को करनी पड़ती है इसके अलावा स्त्रीधन की सुरक्षा किस तरह से महिला को करनी चाहिए उसकी जानकारी इस प्रकार है
- स्त्रीधन के अंतर्गत जो भी सामान लड़की को उपहार स्वरूप मिले हैं उनके बिल और फोटो कॉपी को हमेशा साथ रखें।
- पेमेंट संबंधित सभी जरूरी डॉक्यूमेंट चेक प्राप्त की फोटो कॉपी को साथ रखना जरूरी है।
- अपने सामानों की लिस्ट बनाकर उनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी जरूर करवा लें।
- पूरे स्त्रीधन की एक लिस्ट तैयार कर ले और उनको अलग-अलग कैटेगरी में बांट लें।
- स्त्रीधन को इस तरह से स्टोर करके रखे उस पर आप पूरी तरह नियंत्रण हो जैसे बैंक लॉकर में या संयुक्त लॉकर में आप उसको एक्सेस कर के रख सकते हो।
- अपने स्त्रीधन को कभी ऐसे व्यक्ति को ना दें जिस पर आपका भरोसा ना हो यह बात ध्यान में रखें कि इससे धन केवल आपका है और आप से इसके बारे में सवाल करने का अधिकार किसी का भी नहीं है।
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स्त्रीधन के बचाव खिलाफ कार्रवाई
यदि स्त्री का पति या उसका परिवार स्त्रीधन लेने की कोशिश करता है उस स्थिति में आप किसी तरह का संकोच महसूस ना करें और आप उनको बताएं कि यह सब वह किसी को भी नहीं देगी।
यदि वह आपको जरूरत से ज्यादा परेशान करने की कोशिश करते हैं तो तुरंत आप पुलिस कंप्लेंट करके आईपीसी सेक्शन 498a के तहत केस दर्ज कर सकते हैं।
आपको लगता है कि आपका जो स्त्री धन है वह आपके ससुराल में बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है तो उसको ऐसे व्यक्ति के पास में रख दें जिस पर आपका पूरा भरोसा हो।
स्त्रीधन ही नहीं बल्कि महिला को अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक रहना चाहिए ताकि कोई भी बाहर का व्यक्ति आपको खुद के अधिकारों से वंचित ना करें।
शादीशुदा जिंदगी में आने वाले फाइनेंसियल फैसला मैं सब कुछ पार्टनर पर नहीं छोड़ना चाहिए।
कुछ फैसले बिना आपकी मर्जी के नहीं लेने चाहिए। अपने पार्टनर को समझाएं कि किसी भी तरह का डिसीजन लेते समय आप से सलाह जरूर लें। यह आपका अधिकार है।
सबसे बड़ी बात स्त्री धन पर अधिकार जताने के लिए तलाक लेने की आवश्यकता नहीं है और ना ही यह सोचे कि आप अपना अधिकार जताएगी तो आपसी संबंध खराब हो जाएंगे इसीलिए ध्यान रखें और शुरुआत से ही स्त्री धन को अपने कंट्रोल में रखने की कोशिश करें।
Conclusion
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से “स्त्रीधन से आप क्या समझते हैं” इसके बारे में जानकारी प्रदान की है। उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी इनफार्मेशन स्त्रीधन को लेकर दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी तो इसको अधिक से अधिक शेयर कीजिए और इस पोस्ट से संबंधित सवाल सुझाव के लिए आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके भी पूछ सकते हैं।