तलाक के नये नियम 2022

आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि “तलाक के नये नियम 2022″ में क्या बन गए हैं। उनके विषय में आपको पूरी विस्तार पूर्वक जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से देने जा रहे हैं…

तलाक के ऐसे बहुत से पति-पत्नी के बीच में कारण बन जाते हैं। इसकी वजह से वह तलाक लेने के लिए सोचने लग जाते हैं। तलाक के नए नियम की जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से आपको आज हम बताएंगे शादी करना तो बहुत आसान काम होता है, लेकिन शादी से छुटकारा पाना उतना ही मुश्किल होता है, क्योंकि शादी करने के बाद में तलाक लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया से भी तलाक लेने वाले व्यक्ति को गुजारना पड़ता है। फिर जाकर सालों के बाद में तलाक हो पाता है, लेकिन तलाक लेने के लिए फिर भी कोई सही कारण होना चाहिए। उसके बाद ही आप तलाक ले सकते हैं तलाक के नये नियम 2022 के क्या है। इसके बारे में जानकारी आइए जानते हैं…

तलाक के नये नियम 2022 क्या है

तलाक के लिए पहले बहुत लंबा समय लगता था लेकिन अब तलाक के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बहुत कुछ नियम बदल दिए गए हैं। अब तलाक के लिए 6 महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने जिन नियमों में बदलाव किया है। उनके अंतर्गत अगर दोनों पक्ष आपसी सहमति से एक दूसरे से बिल्कुल अलग होना चाहते हैं तो उनको इंतजार नहीं करना पड़ेगा अब केवल 6 महीने के अंदर उनका तलाक हो जाएगा।

तलाक के नये नियम

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत पति और पत्नी दोनों को एक से अधिक किसी भी आधार पर तलाक की डिग्री को लेकर अपनी ही शादी को भंग करने का पूरा अधिकार दिया गया है  विशेष रुप से धारा 13 में इसका वर्णन किया गया है विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 28 और तलाक अधिनियम 1829 की धारा 10A के अंतर्गत आपको आपसी सहमति तलाक ले सकते हो अर्थात आपसी सहमति से भी तलाक का प्रावधान बताया है।

तलाक के नये नियम और शर्तें

  • पति और पत्नी 1 साल या उससे अधिक समय से एक दूसरे के साथ अगर ना रह रहे हो
  • पति और पत्नी एक दूसरे के साथ रहने में असमर्थ हो तो उस परिस्थिति में भी तलाक ले सकते हैं।
  • जब पति और पत्नी में दोनों में परस्पर सहमति अपनी पूरी तरह से विवाद तोड़ने के लिए रख दी है अर्थात विवाह दोनों के बीच से टूट गया है इसलिए दोनो विवाह को भंग कर सकते है।

तलाक क्या होता है?

पहले की समय में हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार अगर पति-पत्नी आपसी सहमति से एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते अलग रहना चाहते हैं तो उनको 6 महीने का इंतजार करना पड़ता था क्योंकि 6 महीने का कोर्ट के द्वारा समय दिया जाता था वह समय के लिए दिया जाता था कि दोनों पति पत्नी अपनी सोच से अपना फैसला बदल ले 6 महीने की अवधि को कुलिंग पीरियड भी कहते हैं। 

हमारे हिंदू धर्म से शास्त्रों के मुताबिक पति पत्नी का रिश्ता एक धर्म का नहीं बल्कि सात जन्मों का माना गया है लेकिन कभी-कभी कुछ रिश्तो में ऐसी दरारे आ जाती है, जिसकी वजह से अलग होना पड़ता है।

 जीवन के किसी भी मोड़ पर इस तरह की परिस्थितियां शुरू हो जाती हैं, जिससे पति पत्नी में लड़ाई झगड़े शुरू हो जाते हैं और झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि पति पत्नी दोनों एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते हैं। इन सब परिस्थितियों से निपटने के लिए उनको सिर्फ एक ही रास्ता नजर आता है कि दोनों अलग हो जाए अर्थात तलाक ले ले तो सही होगा किसी भी शादीशुदा जोड़े को अलग होने के लिए कानून की मदद लेनी ही पड़ती है इस पूरी कानून की प्रक्रिया को ही तलाक कहा जाता है।

एकतरफा तलाक के नये नियम

दोनों की आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया बहुत आसान है लेकिन एक तरफा तलाक लेने के लिए भारत के कानून में कुछ नियम बनाए गए हैं उन परिस्थितियों के आधार पर ही एकतरफा तलाक लिया जा सकता है..

व्यभिचार  – पति और पत्नी दोनों में से अगर कोई भी अपने पार्टनर को किसी भी तरह का धोखा दे रहा है और तीसरे व्यक्ति से शारीरिक संबंध बना रहा है ऐसे में दूसरा पक्ष व्यभिचार को आधार बनाकर उससे तलाक ले सकता है लेकिन तलाक लेने के लिए व्यभिचार को कोर्ट में साबित भी करना होगा उसके बाद ही तलाक दिया जाएगा।

हिंसा – महिला व पुरुष में से कोई भी अगर एक व्यक्ति किसी भी तरह की शारीरिक और मानसिक हिंसा का शिकार रहता है इस स्थिति को देखते हुए भी वह तलाक ले सकता है लेकिन इसके लिए भी कोर्ट में आपको साबित करना होगा कि आपके साथ किसी तरह की कोई हिंसा हुई है।

धर्म परिवर्तन – अगर पति और पत्नी दोनों की शादी अलग-अलग धर्म में हुई है या फिर दोनों अलग-अलग धर्म से ताल्लुक रखते हैं और दोनों ने शादी करते समय एक दूसरे के धर्म को भी एक्सेप्ट किया है लेकिन शादी के बाद में वह दोनों एक दूसरे को धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करते हैं इस स्थिति में पति और पत्नी दोनों में से कोई भी एकतरफा तलाक ले सकता है।

सन्यास – पति पत्नी में से कोई भी एक अपने शादीशुदा जीवन को छोड़कर अगर सन्यास ले लेता है या बैरागी बन जाता है उसी स्थिति में भी आप कोर्ट से एक तरफा तलाक ले सकते हो।

गुमशुदा – पति पत्नी में से कोई भी अगर 7 साल तक गुमसुदा हो जाता है या कभी भी लौट के नहीं आता उस स्थिति में भी एकतरफा तलाक लिया जा सकता है।

नपुसंकता – नपुंसकता एक ऐसा एकतरफा तलाक का कारण माना जाता है जिसके आधार पर भी तलाक ले सकते हो।

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आपसी सहमति के द्वारा लिया जाने वाला तलाक

आपसी सहमति के द्वारा तलाक लेने की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है, क्योंकि आपसी सहमति में दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है, अर्थात दोनों पक्ष आपसी सहमती लेते हैं उसके बाद तलाक लेने का वह निर्णय लेते हैं, तो इस तरह की प्रक्रिया में किसी तरह का कोई आरोप प्रत्यारोप या किसी तरह का कोई बात विवाद नहीं होता और आसानी से तलाक मिल जाता है।

निष्कर्ष

आज आपको इस इस आर्टिकल में “तलाक के नये नियम 2022 क्या है। इस के विषय में जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख के माध्यम से दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको इस आर्टिकल से जुड़े हुए तलाक के मुद्दे के विषय में अगर किसी भी तरह की जानकारी के विषय में आप जानना चाहते हैं तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं और इस पोस्ट को अधिक से अधिक लाइक शेयर भी कर सकते हैं।

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