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धारा 363,366 में जमानत कैसे मिलती है- धारा 363 366 क्या है?

आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से “धारा 363 366 में जमानत कैसे मिलती है- धारा 363 366 क्या है और सजा का क्या प्रावधान बताया गया है। इसके विषय में जानकारी देने जा रहे हैं…

धारा 363 366 में जमानत कैसे मिलती है (IPC)

भारतीय दंड संहिता 363 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी का भी अपहरण करता है तो इसके लिए उसको 7 साल की कड़ी सजा दी जाती है और जुर्माना लगाकर भी उस व्यक्ति को दंडित किया जाता है।

धारा 363 में जमानत कैसे मिलती है?

यह एक गैर जमानती अपराध होता है न्यायालय में आरोपी व्यक्ति के द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता को न्यायाधीश के द्वारा देखा जाता है। अगर न्यायालय में उसका अपराध गंभीर होता है तो जो आरोपी व्यक्ति है, उनकी जमानत की याचिका को निरस्त कर दिया जाता है तो ऐसे में आरोपी व्यक्ति को जमानत मिल पाना नामुमकिन हो जाता है।

धारा 363 366 में जमानत कैसे मिलती है

 इसके अलावा आपको बता दें कि यह अपराध ऐसा है कि इसमें किसी तरह का कोई समझौता भी नहीं किया जा सकता है। क्योंकि ऐसे मामले में आरोपी अपहरण के साथ में कुछ और करने के बारे में भी सोच सकता है इसीलिए सभी न्यायालयों में यह अपराध बहुत सोच विचार करने के बाद निर्णय लेने के लिए होता है तो ऐसे मामलों के अंतर्गत जमानत अपराधी व्यक्ति के अपराध के ऊपर निर्भर करती है अगर अपराधी व्यक्ति केवल अपहरण के बारे में सोचता है या तो शायद अपराधी को अच्छे वकील की मदद से जमानत मिल भी जाए।

IPC 363 में वकील की आवश्यकता क्यों पड़ती है

सबसे पहले तो आपको बता दें कि किसी भी अपराध के लिए अगर अपराधी व्यक्ति बचना चाहता है तो उसके लिए एक योग्य और कुशल वकील की जरूरत तो पड़ती है। एक तरह से कहा जाए तो सभी कानूनी मामलों में एक वकील की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन वकील ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो कोर्ट रूम में जज के सामने आपका पूरी तरह से प्रतिनिधित्व कर सके। क्योंकि आईपीसी सेक्शन 363 के अंतर्गत आने वाला यह अपराध बहुत गंभीर और बड़ा अपराध माना जाता है।

 इस धारा में किसी व्यक्ति के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के अपहरण करने की बात को कहा गया है अर्थात अपन करने के अपराध का वर्णन किया गया है। जिससे कि अपराध के दोषी व्यक्ति को आईपीसी सेक्शन 363 के अनुसार ही अपहरण अपराध के लिए सजा मिल जाती है। इस तरह के अपराध के लिए अपराधी का बच पाना बहुत मुश्किल होता है इसमें आरोपी को निर्दोष साबित करना भी बहुत मुश्किल काम हो जाता है।

 इन्हीं सब परिस्थितियों से निपटने के लिए वकील की जरूरत पड़ती है जो कि आरोपी व्यक्ति को बचाने के लिए उचित और लाभकारी सिद्ध भी हो सकता है अगर व्यक्ति एक अच्छा निपुण वकील है तो वह आरोपी व्यक्ति को सभी आरोपों से मुक्त करवा सकता है और उसको जमानत दिलवा सकता है लेकिन आईपीसी सेक्शन 363 के अंतर्गत आने वाले मामलों के अंदर वकील निपुण होना चाहिए इससे आपके केस जीतने के पूरे चांस बढ़ जाएंगे और आप आरोपी को आराम से जमानत भी करवा सकते हैं।

धारा 366 में जमानत कैसे मिलती है?

आईपीसी सेक्शन 366 के अंतर्गत जो कोई पुरूष किसी भी औरत का व्यपहरण या अपहरण औरत की इच्छा के विरुद्ध किसी भी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने से या फिर वह औरत विवश की जाएगी। तो इस तरह के जघन्य अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता में अपराधी व्यक्ति की जमानत होना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि आईपीसी 366 के अंतर्गत किसी भी महिला की इच्छा के बिना उसको विवाह करने के लिए विवश करना या फिर महिला का अपहरण करने का अपराध गैर कानूनी अपराध माना जाता है।

इस तरह के अपराध में जमानत का होना बहुत मुश्किल है। आरोपी को इस अपराध के लिए 10 साल तक की कारावास और आर्थिक दंड दोनों से दंडित किया जाएगा। और पीड़ित पक्ष के द्वारा यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है। और इस तरह के अपराध के लिए हमारे भारतीय कानून में जमानत बहुत ही मुश्किल है। फिर भी अगर किसी वकील की मदद के अगर अपराधी व्यक्ति को शायद बेल मिल सकती है। गैर जमानती अपराध होने की वजह से जमानत का मिलना मुश्किल होता है।

366 IPC में वकील की आवश्यकता क्यों होती हैं

आईपीसी सेक्शन 307 के अंतर्गत वकील की आवश्यकता इसीलिए पड़ती है क्योंकि यह अपराध वैसे तो गैर जमानती अपराध है लेकिन फिर भी एक कुशल और योग्य वकील की आवश्यकता किसी भी तरह के कानूनी मामलों के लिए पड़ती है। वकील ऐसा होना चाहिए जो न्यायालय में जज के सामने आपके केस का और आप का प्रतिनिधित्व कर सके। ऐसे तो आपको पहले भी बता चुके हैं कि आईपीसी सेक्शन 366 के अंतर्गत अपराध बहुत गंभीर और बड़ा अपराध माना जाता है क्योंकि इस धारा में किसी भी महिला को उसकी इच्छा के बिना विवाह करने के लिए उसको विवश करना या फिर विवाह करने के लिए उसका अपहरण करना इस तरह की बात का वर्णन इस धारा में किया गया है।

और इस धारा के अंतर्गत दोषी पाए गए अपराधी को इस अपराध के कठोर कारावास की सजा भी दी जाती है।ऐसे में आरोपी को निर्दोष साबित करना बहुत कठिन काम होता है। इन सब परिस्थितियों से अपराधी को निकालने के लिए एक वकील का होना बेहद आवश्यक है। क्योंकि वकील आरोपी को उचित रूप से बचाने के लिए प्रयास कर सकता है। वकील अपने क्षेत्र में निपुण व्यक्ति हूं और वह आरोपी को उसके अपराध से आरोप से मुक्त भी करवा सकें। जो वकील इस तरह के मामलों में पहले से ही निपुण परंपरागत हो तो वह आईपीसी 366 के जैसे मामलों को सही तरीके से सुलजा सकता है।

धारा 363 366 क्या है

आईपीसी सेक्शन 363 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का अपहरण करता है तो भारत के किसी भी क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति को अपराधी माना जाता है और आईपीसी सेक्शन 363 के अंतर्गत उसको दंड भी दिया जाता है। अगर व्यक्ति भारत के अंदर किसी का प्रण करता है तो इस तरह के अपराध के लिए उसको 7 साल की कठोर सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर उस व्यक्ति को दंडित किया जाता है।

धारा 363 क्या है?

आईपीसी सेक्शन 363 में “व्यपहरण के लिए दंड” आपको बता दें कि धारा 363 में;

अगर कोई व्यक्ति के द्वारा भारत से या किसी कानूनी अभिभावक की संरक्षता से किसी भी व्यक्ति का अपहरण करता है तो इस धारा के अंतर्गत उसको सजा दी जाएगी दोषी पाए जाने की स्थिति में जो किसी भी तरह के कारावास से जिसकी अवधि 7 साल तक हो सकती है उसको दंडित किया जाएगा साथ ही जुर्माने से भी दंडित किया जाता है।

ऐसे अपराध में अगर कोई व्यक्ति किसी का किडनैप करता है तो यह अपराध बहुत गंभीर अपराध माना जाता है जिससे कि हमारे भारतीय दंड संहिता में सजा का प्रावधान भी बताया गया है। इसके अलावा किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा यह अपराध विचारणीय रहेगा क्योंकि कोई व्यक्ति अगर अपराध करता है तो वह व्यक्ति कुछ और गलत करने के बारे में भी सोच सकता है। इसीलिए मजिस्ट्रेट इस अपराध के लिए सोच सकता है और यह एक संगेय अपराध भी होता है।

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363 IPC Punishment

आईपीसी सेक्शन 363 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का प्रण करता है तो इसके लिए भारतीय दंड संहिता में इस तरह दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसका समय 7 साल का होगा। इसके अलावा वह व्यक्ति जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा अर्थात उस व्यक्ति को जुर्माना भी भरना पड़ेगा। यह अपराधिक जमानत है और गैर संगेय अपराध माना जाता है। इस अपराध को प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा सुना जाता है। और अपराधी का यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है।

धारा 366 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के अनुसार वर्णन किया गया है कि “किसी भी महिला को विवाह आदि करने के लिए विवश करना उत्प्रेरित करना या दबाव डालना या व्यपहृत करना, अपहृत करना”

जो कोई पुरूष किसी भी औरत का व्यपहरण या अपहरण औरत की इच्छा के विरुद्ध किसी भी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने से या फिर वह औरत विवश की जाएगी। यह संभावना जताते हुए अथवा आयुक्त संभोग करने के लिए उस स्त्री को विवश क्या विरुद्ध करने के लिए या वह स्त्री आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुप्त की जाएगी यह संभावना जताते हुए करेगा। वह दोनों में से किसी तरह के कारावास से जिसकी अवधि 10 साल तक की होगी और उसको जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा। जो कोई किसी स्त्री को अन्य किसी व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुप्त करने के आशय से या विवश या विलुप्त की जाएगी। यह संभावना जताते हुए इस भारतीय संहिता में यथा परिभाषित किया गया है कि अपराधिक गतिविधि के द्वारा अथवा प्राधिकार के दुरुपयोग या विवश करने के अन्य साधन के द्वारा उसे स्त्री को किसी स्थान से ले जाने को प्रेरित करता है वह पूर्वोक्त प्रकार से दंड का अधिकारी रहेगा।

भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 366 में किसी स्त्री की इच्छा के बिना अगर उसको शादी के लिए कोई पुरुष विवश करता है या उससे विवाह करने के लिए उस औरत का किडनैप कर लेता है तो आईपीसी सेक्शन 366 के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी भी स्त्री की उसकी इच्छा के विरुद्ध उससे या उसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने से आशय से या वह स्त्री यह विवाह करने के लिए विवश अगर की जाती है यह संभावना जानते हुए या अवैध संभोग करने के लिए उसी स्त्री को विवश करना या फिर उसे स्त्री के साथ अवैध संभोग के लिए उसको विवश करना या वह आएगी यह संभावना जताते हुए उचित तरीका व्यपहरण या अपहरण करना आदि भारतीय संहिता की धारा 366 में उचित प्रावधान सजा का वर्णन दिया गया है इस तरह के अपराध को करने वाले अपराधी को दंड का प्रावधान बताया गया है।

इस धारा में प्रावधानों में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी बताया गया है कि जो कोई व्यक्ति इस संहिता या प्राधिकरण का दुरुपयोग करके किसी भी विधि में परिभाषित अपराधिक धमकियों के माध्यम से किसी स्त्री को या किसी अन्य व्यक्ति से अवैध संभोग करने के लिए उसको विवश करने या उसको बहकाने से यह आशय है कि कोई इस तरह का कृत्य करना जिससे कि वह स्त्री विवश हो जाए। यह संभावना जताते हुए उसे स्त्री को किसी दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए उत्प्रेरित अगर करेगा तो उसको उपरोक्त प्रकार से उचित तरीके से दंड दिया जाएगा।

366 IPC में “सजा”

भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के अंतर्गत प्रावधानों में किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह करने के लिए उसको विवश करने या विवाह करने के लिए उस महिला का अपहरण करने के अपराध के लिए एक अपराधी को उचित दंड देने की व्यवस्था का वर्णन आईपीसी सेक्शन 366 में कहा गया है उस व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के अंतर्गत कठोर दंड का प्रावधान बताया गया है। क्योंकि यह अपराध 366 के अंतर्गत आता है, इसमें कठोर कारावास की सजा का वर्णन किया गया है। इसकी समय सीमा 10 साल से अधिक की भी बढ़ाई जा सकती है, और आर्थिक दंड के प्रावधान का भी वर्णन हुआ है। आरोपी की गंभीरता न्यायालय और आरोपी के इतिहास के ऊपर निर्भर की जाएगी।

लागू अपराध

किसी स्त्री को विवाह के लिए विवश करने अपवित्र करने के लिए व्यपहृत करना, अपहृत या फिर उत्प्रेरित करना आदि आईपीसी 366 के अंतर्गत अपराध में शामिल किए गए हैं।

 सजा – 10 साल का कठोर कारावास और आर्थिक दंड से भी दंडित किया जाएगा।

यह अपराधी के गैर जमानती अपराध है और संघीय अपराध की श्रेणी में माना जाता है।

किसी भी न्यायालय में मजिस्ट्रेट के द्वारा यह अपराध विचारणीय रहेगा।

आईपीसी 366 के अंतर्गत यह अपराध पीड़ित व्यक्ति के द्वारा समझौता करने योग्य नहीं होता है।

निष्कर्ष

आज हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से “धारा 363 366 में जमानत कैसे मिलती है- धारा 363 366 क्या है इसके विषय में जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख में दिए है। वह आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आप इसी तरह की जानकारियों से जुड़े रहना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट पर कंटिन्यू बनी रहे और आपको यह लेख पसंद आया तो कमेंट करके जरूर बताएं।

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