आज हम आपको “IPC की धारा 498A के बाद तलाक के” बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। इसके विषय में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आईपीसी की धारा 498A लगने के बाद दिन पर दिन तलाक के केस किस कारण बढ़ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा क्या कानून लगाए जा रहे हैं। इनके विषय में जानकारी आपको देने जा रहे हैं। इसके अलावा धारा 498A के अंतर्गत सजा का प्रावधान क्या होता है और IPC की धारा 498Aक्या कहती है, किस अपराध को इसमें शामिल किया गया है इनके बारे में सभी जानकारी देने वाले हैं तो आइए जानते हैं..
Contents
धारा 498A क्या है?
आईपीसी की धारा 498A के अंतर्गत दिन पर दिन तलाक के केस बढ़ते जा रहे हैं इसका मुख्य कारण है कि पुरुष के द्वारा सताई हुई महिला या दहेज हत्या के मामले या फिर शारीरिक शोषण, गाली गलौज, मारपीट इस तरह के मामलों की वजह से दिन पर दिन तलाक के केसों में बढ़ोतरी होती जा रही है। यह केस मुख्य रूप से महिला पक्ष के द्वारा ही किए जाते हैं। क्योंकि आईपीसी की धारा 498A के अंतर्गत अगर कोई महिला इस तरह की अपराध मैं इंवॉल्व है तो उस स्थिति में वह अपने पति के खिलाफ या उसके परिवार वालों के खिलाफ में केस कर सकती है। इसके अलावा इस तरह की पति और पत्नी में होने वाली वारदात की वजह से दोनों ही चाहते हैं कि एक दूसरे से अलग हो जाए उसी स्थिति में जब महिला पक्ष के द्वारा केस लगाया जाता है, तो अक्सर कानून महिला पक्ष को ही सपोर्ट करता है।
आइए जानते हैं आईपीसी की धारा 498A के बाद तलाक के अंतर्गत आने वाली वारदातों और जो भी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं उन सभी के विषय में इस लेख के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं आप आज तक हमारे इस लेख को जरूर पढ़ें क्योंकि आपके लिए यह बहुत हेल्पफुल हो सकता है आइये जानते हैं…
Section 498A of IPC
सबसे पहले आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि आखिर यह धारा 498A आखिर क्या है भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के अंतर्गत अगर किसी भी महिला पर उसके पति या उसके परिवार वालों के द्वारा उस महिला पर क्रूरता की जाती है तो यह अपराध आईपीसी की धारा 498A के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है। यहां पर क्रूरता के अंतर्गत अनेक चीजों को शामिल किया गया है जैसे पत्नी को जबरदस्ती सुसाइड के लिए उकसाना या फिर महिला के साथ कुछ इस तरह का बिहेवियर करना जिससे कि उसको इंटरनल नुकसान हो, या फिर उसको दहेज के लिए उकसाना उसको शारीरिक रूप से परेशान करना इत्यादि चीजें क्रूरता के अंतर्गत शामिल की गई है।
इस तरह की वारदात के लिए अगर कोई भी महिला प्रताड़ित की गई है तो वह किसी भी पुलिस स्टेशन में FIR पति के खिलाफ या उसके परिवार जनों के खिलाफ करवा सकती है।
498A के बाद तलाक
आईपीसी की धारा 498a के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी महिला पर क्रूरता जैसे दहेज के लिए परेशान करना आत्महत्या के लिए उकसाना गलत व्यवहार शारीरिक चोट पहचाना इस तरह की वारदात अगर करता है तो वह अपराधी माना जाएगा इस तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 498a के अंतर्गत दो तरह के केस बन जाते हैं एक तो महिला पक्ष के द्वारा केस किया जा सकता है और दूसरी तरफ पुरुष पक्ष के द्वारा भी केस फाइल हो सकता है
498A के बाद तलाक- महिला के द्वारा
आईपीसी की धारा 498 ए के अंतर्गत अगर महिला के द्वारा केस फ़ाइल किया जाता है तो उससे अगर वह अपने आप को कोर्ट में सबूतों के साथ साबित कर देती है तो अपराधी पुरुष को सजा मिल जाएगी। क्योकि धारा 498A के अनुसार महिला पर किसी भी तरह का अत्याचार अगर पुरुष के द्वारा किया जाता है तो उसमें 3 साल तक की सजा निर्धारित की गई है इसके अलावा उसको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है या इसके अलावा दोनों ही तरह से उसको दंडित जा सकता है। धारा 498 ए के अंतर्गत अगर महिला पुरुष को सजा दिलवाना चाहती है इसके अलावा अगर वह Divorce देना चाहती है तो उसी स्थिति में अगर उसके पास में कुछ एविडेंस मौजूद हैं जिनके आधार पर वह अदालत में साबित कर दें तो इसमें उसको 498 ए के अंतर्गत डिवोर्स मिल जाएगा। क्योंकि इसने महिलाओं को अधिकार होता है अगर वह चाहे तो डिवोर्स के लिए सकती है और उनको सजा दिलवा सकते हैं।
498A के बाद तलाक- पुरुष के द्वारा
दूसरी स्थिति IPC की धारा 498A के अंतर्गत यह होता है कि अगर किसी कारणवश महिला अपने आप को कोर्ट में साबित ना करवाएं अर्थात और पुरुष पक्ष पर लगाए गए आरोप झूठे साबित हो जाए। उस स्थिति में पुरुष पक्ष की तरफ से केस स्ट्रांग हो जाता है और पुरुष के पास ग्राउंड होता है कि वह महिला आरोपी के ऊपर केस फाइल कर सकें। अगर महिलाओं में पुरुष के ऊपर जो केस लगाया है वह झूठा है और उसको कोर्ट में उसने साबित भी नहीं किया तो उसी स्थिति में आदमी डिवोर्स के लिए फ़ाइल कर सकता है। और पुरुष को आसानी से डिवोर्स मिल जाएगा। अर्थात इस ग्राउंड के आधार पर आदमी को अधिकार होता है कि वह उस पर केस फाइल कर सकेगा, जिससे उसको आसानी से वह मिल जाएगा।
तलाक के आधार – Grounds for Divorce
हमारे देश में बढ़ते हुए 498A के बाद तलाक के मामलों में दिन पर दिन वृद्धि देखने को मिली है। वैसे अगर देखा जाए तो तलाक के केस में कोई एक मुख्य कारण नहीं होता है बहुत से इसके कारण हो सकते हैं। तलाक के मामले में अक्सर देखने को मिलता है। गलती हमेशा एक साइड की नहीं होती है। कहीं ना कहीं दोनों पक्ष इसमें जिम्मेदार होते हैं।..
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के Section 13 (1) के तहत निचे लिए आधारों पे तलाक लिया जा सकता है,
- व्यभिचार – दूसरे पक्षकार ने विवाह के अनुष्ठान के पश्चात् अपने पति या अपनी पत्नी से भिन्न किसी व्यक्ति के साथ स्वेच्छया मैथुन किया है।
- क्रूरता – दूसरे पक्षकार ने विवाह के अनुष्ठान के पश्चात् अर्जीदार के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है।
- अगर पति या पत्नी में से एक भी कोई कम से कम दो साल की अवधि के लिए अपने साथी को छोड़ देता है।
- दूसरा पक्षकार अन्य धर्म में संपरवर्तित हो जाने के कारण हिन्दू नहीं रह गया है।
- दूसरा पक्षकार असाध्य रूप से विकृत-चित्त रहा है अथवा निरन्तर या आंतरायिक रूप से इस प्रकार के और इस हद तक मानसिक विकार से पीड़ित रहा है कि अर्जीदार से युक्तियुक्त रूप से यह आशा नहीं की जा सकती है कि वह प्रत्यर्थी के साथ रहे।
- मानसिक बीमारी, मस्तिष्क का संरोध या अपूर्ण विकास, मनोविकृति या मस्तिष्क का कोई अन्य विकार।
- दूसरा पक्षकार उम्र और असाध्य कुष्ठ से पीड़ित रहा है।
- दूसरा पक्षकार संचारी रूप से रतिज रोग से पीड़ित रहा है।
- दूसरा पक्षकार किसी धार्मिक पंथ के अनुसार प्रव्रज्या ग्रहण कर चुका है।
- अगर एक व्यक्ति को सात साल की एक निरंतर अवधि तक जिन्दा देखा या सुना नहीं जाता, तो दूसरा साथी तलाक के याचिका दायर कर सकता है।
ये भी पढ़ें,
498A IPC in Hindi- धारा 498a क्या है, कितनी सजा मिलेगी
Section 354 IPC in hindi- धारा 354 क्या है
Mobile Chori Application in Hindi-शिकायत कैसे दर्ज करे?
LLB Karne Ke Baad Jobs -इन 7 जॉब्स में करियर बनाये
IPC 498A के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार आईपीसी की धारा 498A के अंतर्गत दहेज प्रताड़ना से जुड़े हुए मामलों में पुलिस सीधे आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाएगी। ऐसा अदालत का फैसला हुआ है अदालत ने कहा है कि ऐसे मामलों को देखने के लिए परिवार कल्याण समिति का गठन किया जाएगा और केस उसके पास में पहले भेज दिया जाएगा। जब तक समिति की पूरी रिपोर्ट ना आ जाए तब तक अपराधी की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक व्यवस्था वाले फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामलों में और भी कई अहम फैसले हैं, आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बारे में..
- इस तरह के मामलों में न्याय प्रशासन को सिविल सोसाइटी का सहयोग लेना होगा।
- देशभर में सभी राज्यों के जिलों में परिवार कल्याण समिति का गठन किया जाएगा यह सभी समितियां जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी के द्वारा बनाई जाएंगी।
- जिस कमेटी का गठन होगा उसमें लीगल स्वयंसेवक सोशल वर्कर रिटायर को शामिल किया जाएगा।
- जो भी केस पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने आएंगे उन सभी को इस समिति के द्वारा ही भेजा जाएगा।
- समिति सभी पक्षों से बात करने के बाद 1 महीने के अंदर रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट तक पहुंचाएगा। समिति दोनों पार्टी से फोन पर भी बात कर सकती है। उस रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट और पुलिस के पास में आगे कार्रवाई के लिए दिया जाएगा।
- जब तक रिपोर्ट नहीं आएगी उस समय तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।
- अगर दोनों पक्षों में समझौता हो गया था जिला जज के द्वारा नियुक्त मजिस्ट्रेट के मामले का पुरा निबटारा करवा देंगे। फिर मामले को हाईकोर्ट में भेजा जाएगा ताकि समझौते के आधार पर उनका केस बंद हो जाए।
निष्कर्ष
आज हमने आपको इस आर्टिकल के द्वारा IPC498A के बाद तलाक के बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख में बतायी है आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आप इसी तरह की जानकारी तो जुड़े रहना चाहते हो तो हमारी वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं और हमारा लेख आपको पसंद आया तो कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके जरूर बताएं।