आज इस लेख के माध्यम से हम आपको कोर्ट मैरिज रूल्स इन हिंदी के बारे में जानकारी देंगे। कोर्ट मैरिज करने के लिए किन-किन नियम का होना जरूरी है। उसके बारे में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी यहां इस लेख के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं…
Court marriage rules in hindi – भारत में कोर्ट मैरिज करने के कई प्रकार के नियम और कानून बनाए गए हैं अगर आप कोर्ट मैरिज करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको इन सभी नियम कानून के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए। हमारे देश में कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म जाति के लड़का या लड़की बालिक होने पर कर सकते हैं। इसीलिए आज के इस लेख के द्वारा हम आपको बताएंगे कि भारत में कोर्ट मैरिज करने के क्या नियम होते हैं कोर्ट मैरिज से जुड़े हुए सभी नियम व कानून की जानकारी इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं…
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Court Marriage rules in Hindi
आप अपने पार्टनर के साथ अगर किसी रिलेशनशिप में है और आप कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं तो आपको कोर्ट मैरिज के नियमों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए क्योंकि बिना कोर्ट मैरिज के नियम जाने आपको कोर्ट मैरिज करने में परेशानी हो सकती है आइए जानते हैं कोर्ट मैरिज करने के क्या-क्या नियम होते हैं…..
- बालिग होना – कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि लड़का और लड़की दोनों वाली होने चाहिए इसके लिए कानून के द्वारा लड़का लड़की की आयु 18 साल और 21 साल निर्धारित की है अगर इससे कम के लड़का और लड़की है तो वह कोर्ट मैरिज नहीं कर सकते हैं।
- मानसिक रूप से स्वस्थ होना – कोई भी लड़का लड़की कोर्ट मैरिज कर रहे हैं तो उन दोनों का मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी है।अगर वह दोनों में से कोई भी एक किसी बड़ी बीमारी का शिकार है या किसी भी तरह की मानसिक बीमारी होने की स्थिति में हैं उसी स्थिति में दोनों का विवाह नहीं हो सकता है। कोर्ट मैरिज करने के लिए दोनों का बिल्कुल स्वस्थ होना जरूरी है
- मैरिज रजिस्टर के पास आवेदन – लड़का और लड़की को कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहले मैरिज रजिस्ट्रार के पास में जाकर शादी के लिए आवेदन करना होगा तभी जाकर आप कोर्ट मैरिज को कर पाओगे क्योंकि कोर्ट मैरिज करने की प्रक्रिया वही से ही शुरू होती है।
- लड़का लड़की का शादी शुदा ना होना – कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़का या फिर लड़की में से किसी भी एक का शादीशुदा होना सही नहीं है लड़का या लड़की वैसे कोई तलाकशुदा है या विधवा है तो उसके डाक्यूमेंट्स भी साथ में लगाने जरूरी है। कोर्ट मैरिज के आवेदन करने से पहले दोनों का शादीशुदा नहीं होना चाहिए कोर्ट मैरिज करने वाले लड़का या लड़की के तलाकशुदा होने का पूरा प्रमाण चाहिए
- आपसी सहमति अनिवार्य – लड़का लड़की के कोर्ट मैरिज करने पर दोनों की आपसी रजामंदी होना बहुत जरूरी है दोनों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी दबाव में या किसी धर्म के खातिर दबाव में शादी ना करें ऐसा करना कानूनन जुर्म है अगर आप कोर्ट मैरिज कर रहे हैं तो दोनों की आपसी सहमति जरूरी है तभी आप कोर्ट मैरिज कर पाओगे।
- लीगली रेडी – कोर्ट मैरिज के अंतर्गत हिंदू विवाह में रिश्तेदारी में शादी नहीं की जा सकती है यह नियम केवल हिंदू जाति में ही लागू होता है यहां पर आप अपनी बुआ, मामा, मासी आदि रिश्ते में बहन भाई से शादी नहीं कर सकते हैं। शादी के समय पर दोनों की लीगली सहमति अनिवार्य है अर्थात दोनों की रजामंदी का शामिल होना जरूरी है।
कोर्ट मैरिज में वकील की क्या भूमिका होती है
कोर्ट मैरिज करने में एक वकील की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। वकील के द्वारा यह एक कानूनी रूप से विवाह होता है। इसमें वकील की जिम्मेदारी होती है कि वह दोनों पार्टियों को उचित सलाह दें। कोर्ट मैरिज के नियमों की पालना करते हुए वकील की परामर्श भी जरूरी है। वकील के द्वारा दोनों पक्षों को विवाह संबंधित कानून रजिस्ट्रेशन स्थान रजिस्ट्रेशन के बारे में सही उचित जानकारी वकील से ही ली जा सकती है।
कोर्ट मैरिज में एक वकील ही इस बात की जानकारी दोनों पक्ष की सहमति मैरिज रजिस्टार के पास में रखता है। वह सभी कागजी कार्रवाई को भी तैयार करवाता है। और विवाह के लिए मिलने वाले समय को कम करने में भी मदद करता है।
वकील अधिवक्ता के रूप में आप दोनों के और आपके साथ तीन गवाहों के भी कागजी कार्रवाई को रजिस्ट्री कार्यालय में इकट्ठा करके उनका सुविधा पूर्ण समय निश्चित करता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो कोर्ट मैरिज में वकील के बिना आप विवाह नहीं कर पाओगे। क्योंकि कानूनी विवाह की पूरी जानकारी आप वकील से ही प्राप्त कर सकते हैं। वह आपको सही सलाह देकर कानूनी विवाह की प्रक्रिया को पूर्ण करवा सकता है।
भारतीय कोर्ट मैरिज क्या होती है?
भारतीय कोर्ट मैरिज के अंतर्गत यहां पर किसी भी धर्म के दो लड़का लड़की आपस में विवाह कर सकते हैं। कोर्ट मैरिज करने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 बनाया गया है। इसमें आपको कोर्ट में मैरिज ऑफिसर के पास में सभी डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे। उसके बाद आप दोनों का विवाह मैरिज ऑफिसर के सामने करवा दिया जाएगा। लेकिन इस शादी में किसी तरह की धार्मिक रीति रिवाज को नहीं निभाया जाता है। और कानूनी रूप से लड़का और लड़की कोर्ट मैरिज में पति-पत्नी बन जाते हैं।
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कोर्ट मैरिज प्रोसेस क्या है?
कोर्ट मैरिज का प्रोसेस विशेष विवाह अधिनियम 1954 के नाम से किया जाता है। इसको मैरिज एक्ट नाम से भी जानते हैं। भारत की एक संसद का यह एक विशेष अधिनियम है। इस अधिनियम के अंतर्गत भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वाले नागरिक कोर्ट मैरिज कर सकते हैं। वह व्यक्ति किसी भी धर्म का किसी भी जाति का क्यों ना हो कोर्ट मैरिज के अंतर्गत कोई भी धर्म जाति का व्यक्ति स्वीकार किया जाता है। कोर्ट मैरिज के प्रोसेस की प्रक्रिया इस प्रकार है..
- कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहले आपको लड़का या लड़की दोनों में से किसी को भी मैरिज रजिस्टार के ऑफिस में जाकर एक लिखित में नोटिस देना पड़ता है उसके बाद में आवेदन करता को अपनी शादी का लिखित विवरण जमा करवाना होता है।
- आवेदन करता जिस जगह को प्रेरित करना चाहते हैं उस जगह वह दोनों 1 महीने से ज्यादा समय तक निवास कर चुके हो उसके बाद में आप के नोटिस को मैरिज रजिस्टार के ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर लगा दिया जाता है।
- लड़का या लड़की दोनों में से किसी को भी शादी को लेकर अगर किसी तरह की कोई परेशानी है तो 30 दिन के अंदर वह अपनी परेशानी रजिस्टार के पास में जाकर बता सकता है।
- आपत्ति जताने वाले व्यक्ति की परेशानी को जायज मान लिया जाता है तब रजिस्टर उस प्रक्रिया को खत्म कर देता है। अगर आपने 30 दिन के भीतर आपत्ति नहीं जताई तो आपकी शादी की प्रक्रिया अर्थात शादी का रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू हो जाता है।
- लड़का या लड़की रजिस्टर के द्वारा आपत्ति को एक्सेप्ट कर लेने के खिलाफ कोर्ट में भी अपनी याचिका लगा सकते हैं। क्योंकि उनको यह अधिकार दिया गया है लेकिन आवेदक को इस बात का यहां ध्यान रखना जरूरी है कि अपनी अपनी आपत्ति को स्वीकार करने की प्रक्रिया 1 महीने के अंदर करनी पड़ती है यदि शादी किसी के दबाव में की जा रही है इसी के लिए कोर्ट मैरिज में लड़का लड़की और गवाहों को रजिस्ट्रार के सामने एक हस्ताक्षर के सहित घोषणा पत्र को भरना पड़ता है इस घोषणा पत्र में लिखा होता है कि वह बिना किसी के दबाव से अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं।
- रजिस्टार ऑफिस मैं कोर्ट मैरिज प्रक्रिया को पूरा किया जाता है इसके लिए कुछ निर्धारित शुल्क कोर्ट में भरने होते हैं फिर कोर्ट मैरिज प्रक्रिया पूरी होने के बाद में रजिस्टर पूरी जानकारी भरकर मैरिज सर्टिफिकेट को जारी कर देता है।
- कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़का और लड़की के आधार कार्ड पासपोर्ट साइज फोटो 3-3 गवाहों के आधार कार्ड फोटो वह लड़के और लड़की की दसवीं की मार्कशीट इत्यादि जरूरी कागजातों की आवश्यकता पड़ती है।
क्या कोर्ट मैरिज एक दिन में हो सकती है?
दरअसल, वो पहले अपनी शादी किसी भी मंदिर या गुरूद्वारे में अपने रस्म रिवाजों के साथ कर लेते है फिर वह से उनको एक सर्टिफिकेट मिलता है और बाद में उस सर्टिफिकेट, शादी के सबूत, गवाह, और दूसरे जरुरी कागजातों की मदद से अपनी शादी को मैरिज रजिस्ट्रार के पास जाकर रजिस्टर करवाते है जहाँ से उनको मैरिज सर्टिफिकेट मिल जाता है।
Conclusion
आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको “Court marriage rules in Hindi” के बारे में जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको कोर्ट मैरिज के नियम के बारे में जो भी जानकारी यहां इस लेख में दी है। वह आपको जरूर पसंद है कि अगर आपको फिर भी मन में कोई सवाल है तो इसके लिए आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके आप जरूर पूछ सकते हैं। वहां आपकी समस्या का उचित समाधान किया जाएगा।