आप सभी ने अपने बचपन से ही अपने आप पर देखा होगा कि दहेज लेना एक अभिशाप होता है। दहेज को बहुत बड़ा कलंक माना जाता है।इस बात के लिए जागरूकता का संदेश अक्सर रैलियों के माध्यम से ट्रकों में लिख कर भी देते हैं। ऐसा आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है, क्योंकि हमारे देश में दुल्हनों को दहेज के लालच में पहुंचते दहेज के लोभी मार देते हैं। इस तरह की ऐसी घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती है।
एक बेटी का पिता अपनी हैसियत से भी बढ़कर लड़के वालों को दहेज देता है, फिर भी ससुराल वालों का लालच बिल्कुल भी खत्म नहीं होता है। विवाहित महिलाओं को दहेज से जुड़ी हुई यात्राओं से बचाने के लिए ही भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 498a के अंतर्गत एक हथियार प्रदान किया गया है।
लेकिन वर्तमान समय की अगर बात की जाए तो आज महिलाएं इस धारा का गलत इस्तेमाल कर रही है।
अक्सर किसी भी आपसी मतभेद का बदला लेने के लिए पति को नीचा दिखाने के लिए ससुराल वालों को किसी मुसीबत में डालने के लिए वह इस धारा का इस्तेमाल करते हैं और किसी ना किसी तरह से उनको दहेज के झूठे लालच में फंसा देती है। इसका नतीजा यह देखने को मिलता है कि लड़के वाले को जेल की हवा खानी पड़ती है। उन लोगों को निर्दोष होने के बाद भी जेल में कड़ी यातनाएं झेलनी पड़ती है। आज की पोस्ट में हमारा विषय यही रहेगा कि आखिर निर्दोष होने के बाद भी किस तरह से अपने आप को धारा 498A के अंतर्गत झूठे केस में बता सकते हो।
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धारा 498 A से बचने के उपाय
आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं “धारा 498A के अंतर्गत दहेज से बचने के उपाय क्या हो सकते हैं” इसकी जानकारी इस पोस्ट में…
पत्नी की झूठी F.I.R दर्ज करवाने पर क्या करें
सबसे पहले एफ आई आर दर्ज होने के बाद में खुद के लिए और परिवार के सभी सदस्यों के लिए आप अग्रिम जमानत याचिका को दाखिल कर सकते है।
जब आप का मामला कोर्ट में पहुंच जाए तो आप सीआरपीसी के सेक्शन 482 के अंतर्गत F.I.R. निरस्त कराने के लिए हाई कोर्ट की तरफ जा सकते हैं। वहां आपको अरेस्ट्स के अर्थात आप की गिरफ्तारी पर रोक का आदेश मिल जाएगा। इसके अलावा जांच अधिकारी को भी निष्पक्ष कोर्ट के द्वारा जांच के आदेश मिल जाएंगे।
पत्नी के द्वारा झूठे आरोप लगाए जाने पर और शिकायत से संबंधित सूचना नजदीकी थाने देनी होगी या फिर बेहतर होगा कि आप किसी वकील के माध्यम से अपनी शिकायत को थाने में रजिस्टर्ड करवाएं या फिर खुद एसपी या किसी उच्च अधिकारी से मिलकर भी लिखित रूप में शिकायत पत्र को दाखिल कर सकते हैं। उसकी एक रिसीविंग आपको खुद के पास भी रखनी होगी। यह आपका बचाव कार्य करेगी।
बहुत बार देखा गया है कि ऐसे केस में पुलिस F.I.Rके नाम से भी डराती रहती है। ऐसे में आप डरे नहीं वकील से बात करें। पुलिस सबूत मिलने पर ही आप के खिलाफ केस कर पाएगी।
आप अपनी पत्नी के खिलाफ काउंटर केस भी दर्ज कर सकते हैं। उसके खिलाफ आईपीसी सेक्शन 2860 की धारा 120B में अपराधिक षड्यंत्र या फिर धारा 191 के अंतर्गत पुलिस स्टेशन या कोर्ट में झूठे सबूत देने अथवा धारा 500 के अंतर्गत बदनामी या मानहानि या फिर धारा 506 के अंतर्गत अपराधिक धमकी गलत शिकायत दर्ज करने के लिए 227 के अंतर्गत आप भी आवेदन दर्ज कर सकते हैं।
झूठी शिकायत पर आईपीसी के अंतर्गत शिकायतकर्ता के द्वारा गवाह और पुलिस पर भी केस दर्ज किया जा सकता है।
कैसे 498 ए झूठा साबित करने के लिए सबूत लायें
यदि पत्नी आपको झूठे केस में फंसाने की धमकी दे रही है और आपको इस बात का पूरा अनुमान है कि वह आपको फंसा रही है तो ऐसे में आपको बहुत सतर्कता बरतनी होगी। जब भी आपके साथ इस तरह की कोई हरकत हो तो उसको आप रिकॉर्ड कर सकते हैं। आपके फोन में उसकी चैटिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग या कोई भी मैसेज उसके द्वारा गलत तरीके से आए हैं उनको आप को सुरक्षित रखना होगा। क्योंकि यह सब जानकारी से आपको कोर्ट में तुरंत जमानत मिल जाएगी। कोर्ट ट्रायल के दौरान सभी पुख्ता सबूत आपके पास मौजूद होने जरूरी है।
झूठे केस में भरना पड़ेगा पत्नी को जुर्माना
झूठे केस के दौरान पत्नी को जुर्माना भरना पड़ता है। अगर किसी महिला ने अपने पति पर गलत तरीके से फसाने के लिए उस पर झूठा केस दहेज का लगा दिया है तो ऐसे में अगर उसकी झूठ को कोर्ट में साबित कर दिया जाए तो 50000 का जुर्माना महिला को भरना पड़ता है।
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IPC 1860 की धारा 498A क्या है?
सबसे पहले आपको बताना चाहेंगे की आईपीसी सेक्शन 1860 की धारा 498a क्या कहती है आप सभी जानते हैं कि दहेज प्रथा महिलाओं के लिए एक तरह का अभिशाप होता है। दहेज की आग में लाखों महिलाओं की बलि भी चढ़ा दी जाती है। ऐसे में सशक्त भारत के विकास के लिए आज से लगभग 40 साल पहले सन 1983 में आईपीसी सेक्शन 1860 में धारा 498A को शामिल कर लिया गया था। ऐसा माना जाता है कि आईपीसी के सामान्य प्रावधान महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों से निबटने के लिए बहुत नापाकी रहे।
धारा 498A के अंतर्गत महिलाओं के लिए दहेज की मांग अपने पति और उसके रिश्तेदारों की क्रूरता के खिलाफ बचाव की शक्ति को प्रदान किया गया है। अगर विवाहित महिला पर उसके पति या रिश्तेदार के द्वारा किसी भी तरह की क्रूरता की जाती है। उसको मानसिक शारीरिक या किसी भी अन्य तरह की प्रताड़ना से प्रताड़ित किया जाता है। उस महिला की शिकायत पर इस धारा के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया जाता है। जब वह महिला खुद उसके रिश्तेदार लड़के वालों के पक्ष पर केस कर सकते हैं।
IPC 498A में क्रूरता का अर्थ क्या है
आईपीसी 498 ए के अंतर्गत क्रूरता का अर्थ क्या होता है आइए जानते हैं उसके विषय विषय में..
भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कानून में दहेज के लिए की गई महिलाओं पर हिंसा को ही आईपीसी सेक्शन 498a के अंतर्गत ही शामिल किया गया है। इस धारा के अंतर्गत इस अपराध को एक अपराधिक कृत्य मान लिया गया है। इसके अलावा इस धारा में सजा के लिए भी वर्णन किया गया है। अगर आम भाषा की बोलचाल में कहा जाए तो इसको “दहेज के लिए प्रताड़ना” के नाम से बहुत ही आईपीसी की पापुलर धारा के रूप में जानी जाती है।
धारा 498a में सन 1983 में विवाहित स्त्रियों पर पति या उसके रिश्तेदारों के द्वारा क्रूरता करने उनको डराने धमकाने से राहत प्रदान करने के लिए ही इस धारा को बनाया गया है। किसी भी स्त्री के पति और उसके रिश्तेदारों के द्वारा क्रूरता करने पर ही इस धारा को लगा दिया जाता है। इसके अलावा दोषी पाए जाने वाले पति और उसके रिश्तेदारों को कम से कम 3 साल की सजा और उचित जुर्माने का प्रावधान है।
- जिसकी वजह से कोई भी महिला खुदकुशी करने की हालत में पहुंच जाए या फिर उसको किसी तरह की चोट लग जाए।
- या उसकी शारीरिक सेहत पर किसी तरह का कोई खतरा हो
- या एक ऐसी प्रताड़ना जिसका उद्देश्य केवल महिला और उससे जुड़े हुए किसी व्यक्ति को किसी तरह की जायदाद या उससे कीमती चीज की मांग के लिए ही उस महिला को मजबूर करने के लिए हो अथवा
- ऐसी किसी मांगों को पूरा करने की हालत में महिला या किसी उस महिला से जुड़े हुए शख्स को प्रताड़ित करने के लिए किया जाता हो।
दहेज केस 2022 के नए नियम
दहेज केस के नियम की जानकारी निम्न है
धारा 498 ए के मामले में अपराधी व्यक्ति का सीधे गिरफ्तारी करने का प्रावधान नहीं होने देना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर पूरी तरह रोक लगा दी है क्योंकि सबसे पहले मामले में पति पत्नी के बीच में लेकर आने की कोशिश की जाती है।
यदि पत्नी महिला थाने में केस दर्ज करती है तो वहां पर आपको काउंसलिंग के लिए भी बुला लिया जाता है।
वहा आपसी मतभेद को दूर करने की कोशिश भी की जाएगी। काउंसलिंग के दौरान आप सभी बातें सच-सच बता सकते हो।
यदि काउंसलिंग से बात नहीं बनती है तो जिन धाराओं के अंतर्गत पत्नी ने मुकदमा दर्ज करवाया है उसमें जांच के लिए सीआरपीसी की धारा 411 के अंतर्गत पुलिस आप को नोटिस भेज सकती हैं। आप थाने में जाकर भी सारी बातें बता सकते हो।
वहा बता सकते हो कि आपकी पत्नी ने आप पर झूठा केस दर्ज करवाया है पत्नी की मंशा केवल आपको फ़साने की है पुलिस बिना सबूत के तो F.I.R. दर्ज नहीं कर सकती हैं।
यदि पत्नी दहेज उत्पीड़न में फंसाने की धमकी देकर घर से चली गई है, मायके से दहेज उत्पीड़न और घर से निकालने की वह को धमकी दे रही है तो आप वैवाहिक अधिकारों की प्रतिष्ठापना धारा 9 के अंतर्गत उसको अपने पास बुलाने के लिए कोर्ट में याचिका लगा सकते हो। यह सबूत आपके लिए पर्याप्त रहेगा कि आप उसको अपने पास रखना चाहते हो वह अपनी मर्जी से अपने मायके गई है।
निष्कर्ष
आज हमने इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी को दहेज के लिए “धारा 498 ए के अंतर्गत अगर किसी को झूठे केस में फंसा दिया गया है तो उसके बचाव के क्या उपाय हो सकते हैं” इसके विषय में विस्तार से जानकारी समझाई है। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सभी जानकारियां अच्छी लगी तो इसको लाइक शेयर कीजिए और किसी तरह की समस्या आपको इस पोस्ट से संबंधित है आपके मन में कोई सवाल है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में भी कमेंट करके पूछ सकते हैं।