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गुजारा भत्ता देने से बचने के उपाय- गुजारा भत्ता देने के नियम

आज इस आर्टिकल के द्वारा हम आप को “गुजारा भत्ता देने से बचने के उपाय क्या है” उसके बारे में जानकारी देने वाले है। शादी के बाद पति पत्नी जब एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर लेते हैं। उसी स्थिति में पति पत्नी को गुजारा भत्ता देने से कैसे बचे। इस पोस्ट में पढ़ी-लिखी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं सुप्रीम कोर्ट, गुजारा भत्ता देने से बचने के उपाय, गुजारा भत्ता देने के नियम, गुजारा भत्ता के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बारे में बताया गया है।

गुजारा भत्ता देने से बचने के उपाय

सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत अगर पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देना चाहता तो उससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं उसकी जानकारी इस प्रकार है –

  • अगर पत्नी कमाती है तो पति को चाहिए कि उसकी पत्नी के खिलाफ कमाने के सभी सबूत कोर्ट में पेश करें। उस स्थिति में गुजारा भत्ता देने से बचा जा सकता है।
  • अधिकतर केस के चलते हुए पत्नी अपने पति के साथ में नहीं रहना चाहती आप इस बात पर कोर्ट में जोड़ने की पत्नी आपके साथ रहे तो वह खुशी-खुशी उसका खर्चा देने के लिए तैयार हैं इस स्थिति में पत्नी को परेशानी तो बहुत होगी इससे वह साबित करने की कोशिश करेगी कि आपके साथ क्यों नहीं रहना चाहती।
  • यदि पत्नी बिना किसी वजह के अलग रह रही है तो हिंदू मैरिज एक्ट सेक्शन 9 के अंतर्गत केस करके उस पर दबाव बनाया जा सकता है। अगर आपको सेक्शन 9 की डिग्री मिल गई है तो आप गुजारा भत्ता देने से बच सकते हो।
  • आपकी पत्नी कैरक्टरलेस है इस बात के सबूत आपको कोर्ट में पेश करने होंगे क्योंकि पत्नी चरित्रहीन होने पर पति से खर्चा मांगने की हकदार नहीं होती है।
  • आपकी पत्नी कोर्ट में यह साबित करने की कोशिश करें कि आप की आमदनी के साधन क्या-क्या है तो आप उस बात से बिल्कुल हामी ना भरे उसे स्थिति में केस आपके फेवर में ही रहेगा और आप गुजारा भत्ता देने से बच जाओगे।
  •  कोर्ट में हो सके तो सभी  तारीख मिलने पर जाना चाहिए  किसी कारणवश आप कोर्ट में हाजिर नहीं हो पा रहे तो इस बात की जानकारी पहले से ही अपने वकील को दे देनी चाहिए ।

किसी भी केस को जीतने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह होता है कि सामने वाली पार्टी से आपको cross-examination तरीके से कर लेना चाहिए इसके लिए आपको एक अच्छे वकील का चुनाव करना होगा यदि आपका वकील अच्छा है और सही तरीके से केस लड़ रहा है तो cross-examination करके आप केस जीत सकते हैं।

पढ़ी-लिखी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं सुप्रीम कोर्ट

गुजारा भत्ता देने से बचने के उपाय

पत्नी पढ़ी लिखी है और वह काम कर सकती है लेकिन ऐसा वह जानबूझकर नहीं करना चाहती है तो इस बात को आप को कोर्ट में रखनी होगी कि आपकी पत्नी पढ़ी लिखी है और खुद का गुजारा नौकरी करके कर सकती है सिर्फ परेशान करने के लिए वह नौकरी नहीं कर पा रही है और आपसे जबरदस्ती गुजारा भत्ता की मांग कर रही है। पत्नी अगर अपनी मर्जी के बिना किसी कारण से  आपके साथ नहीं रह रही है तो इस बात का सबूत आपको कोर्ट में पेश करना होगा कि बिना किसी कारण के पति से वह अलग रह रही है और गुजारा भत्ता की मांग कर रही है। इन परिस्थितियों में आप गुजारा भत्ता देने के अधिकारी नहीं हो।

CrPC 125 गुजारा भत्ता कानून क्या है

गुजारा भत्ता कानून वह होता है जिसमें सबसे पहले सिविल कोर्ट के अंतर्गत ही गुजारा भत्ता देने के आदेश प्राप्त हुआ करता है। लेकिन अब यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए विकलांग माता-पिता पत्नी और अज्ञानी विकलांग बच्चों के मामलों में आईपीसी सेक्शन 1973 की धारा 125 से 128 अंतर्गत मजिस्ट्रेट आदेश दे सकता है कि वह प्रथम दृष्टया न्यायाधीश को बरकरार  रखकर इसके अलावा पत्नी को पति से गुजारा भत्ता का देने का अनुरोध कर सकता है। 

 घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में आवेदन कर के पत्नी को पति से गुजारा भत्ता मांगने का प्रावधान बताया है। इसमें पत्नी अपने पति के उत्पीड़न के लिए मुआवजे का दावा भी कर सकती है। जिसमें शादी का गुजारा भत्ता घरेलू सामान,सोना, गहने, इसके अलावा शादी में होने वाले खर्चों को भी शामिल किया है।

गुजारा भत्ता देने के नियम क्या है

गुजारा भत्ता पत्नी विकलांग बच्चों, असहाय बच्चों या माता-पिता को दे सकते हैं। लेकिन उनकी स्थिति कुछ इस प्रकार से होने पर यह दिया जाएगा।

  • उनके पास अपनी आजीविका के अन्य कोई भी साधन उपलब्ध ना होने की स्थिति में धारण के लिए एक पत्नी जो बिल्कुल पैसा नहीं कमाती है।
  • यदि उनके बच्चे हैं वह ज्ञानी हो सकते हैं या शारीरिक रूप से खुद का समर्थन करने में भी असमर्थ हो यहां तक कि अगर माता-पिता है और वह खुद का समर्थन नहीं कर सकते उससे स्थिति में गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया जाता है।

मजिस्ट्रेट के द्वारा एक निश्चित राशि तय कर दी जाती है मजिस्ट्रेट श्रम जांच करते हैं कि उपरोक्त शर्ते पूरी हो गई या नहीं हुई है जिस व्यक्ति के खिलाफ ही आदेश जारी हुआ है अगर उस व्यक्ति ने मजिस्ट्रेट के द्वारा दिए गए आदेश की पालना नहीं की है तो निश्चित रूप से बेदर्द का अधिकारी रहेगा

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गुजारा भत्ता कैसे किस तरह से बचा जाए

सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत एक पति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देना पड़े। इसके लिए कोर्ट में उसको असहाय और बेचारा खुद को दिखाना होगा। और वकील के द्वारा इस बात को साबित करवाना होगा। तब ही आप सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता देने से बच सकते हैं। पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए पहले पत्नी के द्वारा फाइल किए गए केस को क्रॉस वेरीफाई करना जरूरी होता है। उसके बाद भी आप पत्नी के खिलाफ अगेंस्ट wrong मेंटेनेंस एलुमनी केस फाइल कर सकते हो।

Conclusion

इस पोस्ट में पढ़ी-लिखी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं सुप्रीम कोर्ट, गुजारा भत्ता देने से बचने के उपाय, गुजारा भत्ता देने के नियम, गुजारा भत्ता के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बारे में बताया गया है।  हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख के माध्यम से दिया है। वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपके मन में गुजारा भत्ता को लेकर फिर भी कोई सवाल है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं और हो सके तो आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक लाइक शेयर भी कर सकते हैं।

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