advocate suresh consultation image

स्टांप पेपर सहमति से तलाक- आपसी सहमति का तलाक कैसे ले?

आज इस आर्टिकल के द्वारा हम आपको “स्टांप पेपर सहमति से तलाक” कैसे लें इसके बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन आपको हमारे इस लेख में पढ़ने को मिलेगा। अगर आप स्टांप पेपर सहमति से तलाक के विषय में जानना चाहते हैं तो एकदम सही जगह पर है हम आपको यहां पूरी जानकारी बताने का प्रयास करेंगे आइए जानते हैं…

स्टांप पेपर सहमति से तलाक की मान्यता क्या होती है?

स्टांप पेपर पर लिए गए तलाक की मान्यता से यह तात्पर्य है कि अगर कोई भी पति पत्नी एक साथ नहीं रहना चाहते हैं वह डिवोर्स लेना चाहते हैं। उस स्थिति में स्टांप पेपर पर या किसी भी सादा कागज पर दोनों लिख सकते हैं ” हम दोनों साथ नहीं रहना चाहते हैं और आपसी सहमति से हम विवाह विच्छेद कर रहे हैं। अब हम दोनों एक दूसरे के जीवन में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे। एक दूसरे के प्रति वैवाहिक कर्तव्य से भी हम दोनों मुक्त हैं।”

 दोनों अपनी अपनी बातें लिख कर पति और पत्नी की तरफ से 2 या 5 गवाहों के हस्ताक्षर करवा कर उसको नोटरी करवा देते हैं। और पति पत्नी अलग रहने लग जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह पति पत्नी के करने से डिवोर्स हो जाता है। इस तरह के स्टांप पेपर पर किए गए विवाह विच्छेद को कानून मान्यता नहीं देता है। 

इस पूरी प्रक्रिया में भले पति पत्नी एक दूसरे से अलग रहने लग जाए। उनका एक दूसरे के प्रति सम्मान प्रेम खत्म हो जाए। लेकिन कानून की नजर में वह पति-पत्नी ही हमेशा के लिए रहेंगे। एक तरह से देखा जाए तो स्टांप पेपर पर लिया गया डिवोर्स मान्य नहीं है।

अगर आप स्टांप या तलाक पेपर लिखवाना चाहते हैं या पंचायती तलाक करवाना चाहते हैं तो आप हमसे संपर्क करे और सारी जानकारी लें और लिखत भी हमसे करवा सकते है, पुरे India में आप कही से हो आपका काम Online हो जायेगा, ज्यादा जानकारी के लिए WhatsApp करें 98771-24221 परामर्श शुल्क ५०० रु जो की अगर आप कोई काम करवाते हैं तो कम कर दिया जायेगा।

आपसी सहमति से डिवोर्स किस तरह से ले?

पति और पत्नी अगर आप से सहमति से संबंध खत्म करना चाहते हैं अर्थात तलाक लेना चाहते हैं तो आपसी सहमति के लिए उनको कोर्ट में एक एप्लीकेशन लगाना पड़ता है। उसके बाद में उन दोनों को कोर्ट में जज के सामने बुलाया जाता है। दोनों का बयान लिया जाता है वहां पर अपना रिश्ता खत्म करने का कारण जिसके द्वारा पूछा जाता है।

कोर्ट के द्वारा पति पत्नी को रिश्ता सुधारने के लिए मेडिटेशन सेंटर पर भी भेजा जाता है। इसके लिए उनको 6 महीने का समय दिया जाता है। अगर मेडिटेशन के बाद में भी उनका रिश्ता सही नहीं है और दोनों फिर भी चाहते हैं कि डिवोर्स दोनों का हो जाए। फिर वापस से कोर्ट के समक्ष जज के सामने बयान देना होता है।

 वह वापस आपसे दोनों के डिवोर्स के बारे में पूछते कि क्या आप दोनों डिवोर्स लेना चाहते हैं? अगर आप दोनों अर्थात पति-पत्नी इस बात से सहमत हैं कि वह डिवोर्स लेना चाहते हैं। तब जाकर जब आप की सहमति पर मोहर लगा देता है। संबंध विच्छेद के लिए वह डिग्री आपको दे देता है। इस तरह से पति पत्नी का रिश्ता वही कोर्ट में खत्म हो जाता है। कानूनी रूप से पति पत्नी का तलाक हो जाता है। उसके बाद पति भी और पत्नी भी दोनों स्वतंत्र हो जाते हैं। तलाक के बाद वह दोनों दूसरा विवाह भी कर सकते हैं।

आपसी सहमति से तलाक लेने की पूरी प्रक्रिया क्या है?

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार यदि पति और पत्नी एक दूसरे के जीवन में परेशानियों का सामना कर रहे हैं और उन दोनों ने उन सब परेशानियों से भागने के लिए कानूनी रूप से अपने अपने रास्ते अलग करने का फैसला ले लिया है उसी स्थिति में वह आपसी सहमति तलाक के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं लेकिन दूसरा पक्ष तलाक लेने के लिए तैयार नहीं है तो उसी स्थिति में आप तलाक फाइल कर सकते हैं उस तलाक को प्रतियोगि तलाक कहा जाता है।

आपसी सहमति तलाक क्या है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत पति और पत्नी विशेष रूप से धारा 13 के अंतर्गत एक से अधिक आधारों पर तलाक के डिग्री के लिए अपने विवाह को खत्म करने का अधिकार रखता है।

विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 28 और तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10ए में भी आपसी सहमति के तलाक का वर्णन किया गया है।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (B) के अंतर्गत जरूरी नियम व शर्तें प्रकार है..

  • पति और पत्नी 1 साल या उससे भी अधिक समय से एक दूसरे के साथ नहीं रह रहे हो।
  • दोनों एक साथ रहने में असमर्थ हो।
  • दोनों पति-पत्नी यह जानते हैं कि उनका विवाह पूरी तरह से टूटने वाला है इसलिए उनको अपना विवाह संबंध खत्म कर देना चाहिए इस परिस्थिति में वह आपसी सहमति से तलाक की याचिका कोर्ट में दायर कर सकते है।

हमारे देश के कानून के अनुसार तलाक की प्रक्रिया को मुख्य रूप से तलाक की याचिका कोर्ट में दायर करने के बाद में ही प्रोसेसिंग में लिया जाता है। अब यहां सवाल आता है कि तलाक की याचिका को कहां किस तरह से दायर करें

तलाक की याचिका दायर न्यायालय में की जाती है। तलाक की पूरी प्रक्रिया तलाक की याचिका से ही शुरू होती है तलाक की प्रक्रिया में एक दूसरे पक्ष को नोटिस दिया जाता है। आपसी सहमति तलाक के प्रोसेस की प्रक्रिया इस प्रकार है..

  • सबसे पहले तलाक की डिग्री हासिल करने के लिए पति और पत्नी दोनों को मिलकर कोर्ट में याचिका को लगाना होगा उनको यह कहना होगा कि वह एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते हैं और अपने विवाह को खत्म करना चाहते हैं उनको एक दूसरे के साथ रहे बिना 1 साल या उससे ज्यादा का समय भी हो चुका है इस तरह की प्रक्रिया के बाद में दोनों की याचिका पर दोनों के पक्षों के हस्ताक्षर करवाए जाएंगे।
  • कोर्ट में याचिका लगाने के बाद में दोनों पक्षों की पूरी फैमिली को कोर्ट में भी पेश होना पड़ता है।
  • पति और पत्नी के द्वारा दिए गए बयान में बच्चे प्रॉपर्टी गुजारा भत्ता इनको भी शामिल करना होगा। दोनों के बयान दर्ज होने के बाद में कोर्ट रूम में स्टांप पेपर पर पति-पत्नी के हस्ताक्षर करवाए जाते हैं।
  • दोनों पक्ष अपने-अपने वकील पेश करते हैं और सभी डाक्यूमेंट्स को अदालत के समक्ष पेश किए जाते हैं। गंभीर तरीके से जज के द्वारा उसका अवलोकन किया जाता है।
  • अदालत के द्वारा पति और पत्नी के बीच सुलह करवाने का पूरा प्रयास करवाया जाएगा इसके लिए उनको 6 महीने का समय भी मिल सकता है।
  • 6 महीने के समय के बाद भी पति पत्नी दोनों एक दूसरे के साथ रहने में असमर्थ है तब उनका मामला आगे कार्रवाई के लिए बढ़ाया जाएगा।
  • दोनों पक्ष की सहमति नहीं बनने के बाद में दूसरी बार जब कोर्ट के समक्ष पति-पत्नी हाजिर होते हैं तब कोर्ट के द्वारा उनके तलाक को मान्यता मिल जाती है।
  • अभी कुछ ही समय पहले सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लिए गए एक फैसले में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि 6 महीने तक का समय आपसी सहमति से तलाक के लिए जरूरी नहीं है अदालत अपने अधिकार के आधार पर इस अवधि में छूट भी दे सकती है।
  • दूसरा प्रस्ताव 18 महीने की अवधि में नहीं लगाया गया तो तलाक के आदेश को मान्य नहीं किया जाएगा इसमें एक पक्ष के आदेश पारित होने से पहले किसी भी समय पर आपसे सहमति को वापस लिया जा सकता है।
  • इस तरह के मामलों में अक्सर पति पत्नी के बीच अगर पूरी तरह से समझौता नहीं हुआ है या फिर अदालत पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाई है तब तलाक के लिए आदेश कोर्ट के द्वारा नहीं मिलता है।
  • अगर अदालत को पूरी कार्रवाई सही लगती है तब अंतिम चरण में आपसे तलाक के आदेश पर हस्ताक्षर करती है।
  • इस तरह से आपसी सहमति से तलाक पति पत्नी को मिल जाता है।

ये भी पढ़ें,

कोर्ट मैरिज के बाद तलाक प्रक्रिया क्या है?

एकतरफा तलाक के नियम और तलाक के फायदे

अगर पति तलाक न दे तो क्या करें

तलाक के लिए आवेदन कैसे करे? तलाक के लिए Documents क्या चाहिए?

तलाक के बाद बच्चा किसको मिलेगा

स्टांप पेपर सहमति तलाक- Conclusion

आज इस आर्टिकल के द्वारा हमने आपको “स्टांप पेपर सहमति तलाक” के विषय में पूरी जानकारी विस्तार से बताई है। इसके अलावा आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया के बारे में भी इसमें आपको जानकारी दी है।

 हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इसलिए के द्वारा दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर फिर भी आपके मन में किसी तरह के कोई सवाल है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं। आपके हर सवाल के जवाब यहां दिए जाएंगे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top