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Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi | धारा 9 के फायदे और नुकसान

आज इस आर्टिकल के द्वारा हम आपको “Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi | धारा 9 के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी देने वाले हैं। हिंदू मैरिज एक्ट के अंतर्गत होने वाले फायदे व नुकसान के बारे में आपको पूरी जानकारी यहां पढ़ने को मिलेगी तो आइए जानते हैं इसके बारे में..

Section 9 hindu marriage act in hindi – हमारे देश में विवाह को भी एक संस्कार माना है, यहां पर पति पत्नी जब एक रिश्ते में बंध जाते हैं तो उन दोनों को एक ही आत्मा का दर्जा दिया जाता है। पुरुष और महिला दोनों की शादी होने के बाद में वह अपने अपने संस्कृति धर्म के अनुसार ही रीति-रिवाजों का पालन करते हैं और उन सबको वह अंतिम सांस तक निभाते हैं। अपने हर सुख दुख के साथी पति पत्नी को माना गया है। दोनों हर समय एक दूसरे का सहारा बनते हैं।

लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी आ जाती है जब पति पत्नी एक दूसरे के खिलाफ हो जाते हैं और वह बिना कुछ कारण बताएं एक दूसरे से अलग रहने लग जाते हैं। बहुत से केस में देखा गया है कि महिला अपने परिवार को छोड़कर अलग रहने लग जाती है। यहां तक कि पुरुष भी दूसरी शादी कर लेता है। इस तरह के मामलों में महिला अपने पति के साथ रहने और वापस से अपना अच्छा व्यवहार जीवन बिताने का अधिकार रखती है। यह कानूनी अधिकार केवल महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुष को भी दिया गया है। 

पति-पत्नी चाहे तो अलग होने के बाद भी अपनी मर्जी से एक दूसरे के साथ रह सकते हैं। पति और पत्नी को यह अधिकार हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के अंतर्गत मिलता है। इस धारा के अंतर्गत पति पत्नी दोनों एक साथ वापस से अपना वैवाहिक जीवन शुरू कर सकते हैं। आज हम आपको हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 क्या कहती है और धारा 9 के फायदे और नुकसान क्या है, Section 9 Hindu marriage act in hindi इसके बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं आइए जानते हैं..

Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi

Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत कहा गया है कि 1955 की धारा 9 वैवाहिक अधिकारों की बहाली के बारे में बताती है। जिसने बताया गया है कि एक ऐसी स्थिति जहां पति और पत्नी एक दूसरे से बिना कोई उचित कारण बताएं समाज से बिल्कुल अलग हो जाते हैं तो पति या पत्नी के पास वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक जिला अदालत में अपनी याचिका दायर करने का उपाय होता है। धारा 9 के अंतर्गत बताया गया है कि अदालत में निम्न शर्तों के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए डिक्री मिल सकती है…

  • जब कोई पक्ष बिना किसी तरह का उचित कारण बताएं पति या पत्नी के समाज से पीछे हट गया हो।
  • अदालत स्थिति से संतुष्ट है कि याचिका में दिए गए बयान पूरी तरह से सही है।
  • कोई कानूनी आधार नहीं है जिस पर इस याचिका को अस्वीकार किया जा सके।

इस धारा के अंतर्गत समाज शब्द का अर्थ सहवास और कंपनी अनशिफ्ट से है जिसकी अपेक्षा विवाह के बाद हर व्यक्ति करता है समाज से वापसी शब्द का अर्थ एक “वैवाहिक संबंध से हटना” है।

“वैवाहिक अधिकारों की बहाली” का अर्थ क्या है

वैवाहिक अधिकारों की बहाली का कानूनी भाषा में ऐसे ही पति-पत्नी दोनों का बिना किसी वजह से एक दूसरे से अलग हो गए हो या दोनों में से कोई भी एक दूसरे को छोड़कर दूसरी जगह रहने लग गया हो तो छोड़ कर जाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध वैवाहिक संबंधों की वापसी के लिए कोर्ट में मुकदमा किया जा सकता है।

सरल और आसान शब्दों में कहे तो पति हो या पत्नी दोनों वैवाहिक अधिकारों की बहाली का अधिकार रखते हैं। इसमें न्यायालय के द्वारा छोड़कर जाने वाले व्यक्ति को यह सलाह मिलती है कि वह अपने पार्टनर के साथ में वापस से अपने संबंधों को सही बनाएं और भविष्य में अपने साथ को छोड़ने की गलती भी ना करें क्योंकि यह एक कानूनन अधिकार है जो पति और पत्नी दोनों को दिया जाता है। इस आधार पर अदालत डिक्री भी मिल सकती है। वैवाहिक संबंधों में बहाली केवल भौतिक जरूरतों की पूर्ति के लिए नहीं होती है। इसमें और भी बहुत से महत्वपूर्ण पहलू शामिल किए गए हैं। पति और पत्नी दोनों के कुछ अधिकार और कर्तव्य दिए गए हैं जो साथ रहने पर ही पूरे होते हैं। यह सभी अधिकार वैवाहिक अधिकारों के अंतर्गत ही शामिल किए गए हैं।

हिंदू विवाह अधिनियम 9 का अर्थ क्या है

Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 का अर्थ यह है कि दांपत्य अधिकारों का प्रतिस्थापन अर्थात वैवाहिक जीवन में अगर किसी कारण से दरार आ जाए तो उसको एक बार सुधरने का मौका मिले। जब किसी कारण से पति और पत्नी के बीच में दूरियां आ जाए और वह एक दूसरे से अलग रहने लग जाए लेकिन किन्हीं कारणों से अगर वह अपने रिश्ते को एक बार वापस से मौका दें उसके लिए वह कोर्ट में जाकर अपील वापस से साथ रहने के लिए दायर कर सकते हैं। यहां पर कोर्ट के आदेश देने पर पति पत्नी साथ रह सकते हैं अगर दोनों में से एक भी साथ रहने के लिए राजी नहीं है तो तलाक लिया जा सकता है

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत यह उद्देश्य रखा गया है कि टूटती शादी को बचाने का एक मौका और मिल जाए मुख्य रूप से यह अधिकार पति और पत्नी दोनों के पास में होता है वैसे किसी भी पत्नी को अपने पति से तलाक लेने के 13 अधिकार मिले हैं।

धारा 9 के फायदे और नुकसान: (नुकसान)

  1. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत केस दर्ज होने के बाद में 3 साल से 5 साल का समय लगता है। ऐसे में आपका समय पैसा दोनों ही बर्बाद हो जाते हैं। इसमें आपका तलाक का केस और धारा 9 के अंतर्गत किया गया के दोनों केस का एक साथ चलना मुश्किल होता है। दोनों केस में लगभग 10 साल का समय लग जाता है। जब तक यह समय लगता है इतने आपकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई होती है उसे स्थिति में तलाक लेने का फायदा क्या है।
  2. अगर आपकी पत्नी कोर्ट के समक्ष आपको घर चलने के लिए कहती हैं और आप किसी तरह से उनसे बचने का प्रयास करते हैं अर्थात आप बहाना बनाते हैं उसी स्थिति में जज आपकी बात को समझ कर आपके खिलाफ उल्टा आदेश दे सकता है।
  3. हमारे देश में दहेज के लगभग 90% केस लड़े जाते हैं उनमें से सभी लगभग समझौते पर खत्म हो जाते हैं। बाकी 10% केस में से 5% के केस आदमी हार जाता है मात्र 5% केस के अंतर्गत ही पत्नी अपने पति को सजा दिलवा पाती है। पत्नियां जब पहले से केस करती हैं तो अपने केस में सारी सच्चाई पहले से ही लिखवा देती है जब तक पति उनकी सच्चाई का जवाब नहीं दे पाता इस स्थिति में हार जाते हैं।
  4. अधिकतम आदमी की सोच का केस करते हैं कि वह इस केस को जीतकर पत्नी से तलाक ले लेंगे। दूसरी चीज जिसने यह आती है कि आदमी कोर्ट में यह साबित करता है कि वह अपनी पत्नी को साथ रखना चाहते हैं लेकिन पत्नी के साथ नहीं रहना चाहती उसी स्थिति में भी वह केस जीत जाते हैं।

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धारा 9 के फायदे और नुकसान: (फायदे)

धारा 9 के अंतर्गत जब आप अपनी पत्नी को लीगल नोटिस भेजते हैं तो उस स्थिति में कुछ चीजों का आपको विशेष ध्यान रखना होगा जिनकी जानकारी इस प्रकार है..

  1. लीगल नोटिस रिसीव होना – सबसे पहले जब आप पत्नी को नोटिस भेजते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह सही पते पर रिसीव हो। पत्नी जहां रह रही है वहा का सही एड्रेस लिख कर लीगल नोटिस भेजे इसके बाद रिसीविंग को अपने पास रखें।
  2. कानूनी अधिकार की बात – आप को नोटिस के अंदर इस बात को देखना होगा कि “हम दोनों पति पत्नी हैं और हमारा साथ रहने का अधिकार है तुम अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई हो इसके अलावा उसमें हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत मेरा कानूनी रूप से अधिकार है तुम वापस से मेरे जीवन में आ जाओ।” इस बात को कानूनी नोटिस में जरूर लिखकर भेजें।
  3. आपको उस नोटिस में ज्यादा किसी तरह के झगड़े की कोई फैक्ट नहीं लिखने हैं इस नोटिस के द्वारा उसको यह नहीं पता चलना चाहिए
  4. हिंदू विवाह अधिनियम 9 का लीगल नोटिस आप के केस की कमी को पूरा कर देता है। इस नोटिस के आधार पर आप कोर्ट में यह साबित कर सकते हैं कि आपने अपनी पत्नी को बनाने की कोशिश की लेकिन वह आई नही। उसका सबूत आपका नोटिस होगा।
  5. आपकी पत्नी नोटिस का जवाब देकर सारे फैक्ट्स के बारे में बता देती है इन सभी फैक्ट को आप डिफेंस के अनुसार पूरा भी कर देते हैं। इससे आप के केस जीतने के चांस ज्यादा बन जाते हैं।
  6. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत आपका ऐसा समय दोनों बच जाता है अगर आपकी पत्नी जवाब नहीं देती है और आप पत्नी से तलाक लेना चाहते हैं तो आप उनसे तलाक ले सकते हैं।

इसी वजह से आप हिंदू विवाह अधिनियम धारा 9 के अंतर्गत केस करने से हो सके तो बच जाए और आप केवल लीगल नोटिस का ही सहारा ले। इससे ही आपकी शादीशुदा जिंदगी फिर से शुरू की जा सकेगी।

Conclusion

आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से “Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi | धारा 9 के फायदे और नुकसान” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी इस लेख के माध्यम से बताइ है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी जानकारी इस लेख में दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित कोई अन्य जानकारी के विषय में जानना है या अन्य कोई सवाल है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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